नामांकन वैद्य होने पर भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जतायी खुशी
महागामा में नामांकन के बाद स्क्रूटनी को लेकर दिनभर रही गहमागहमी
महागामा विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन की स्क्रूटनी को लेकर बुधवार को अनुमंडल कार्यालय के बाहर देर तक गहमागहमी का माहौल रहा. इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पांडेय सिंह, भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार भगत के समर्थक अनुमंडल कार्यालय परिसर में स्क्रूटनी की जानकारी प्राप्त करने के लिए साढ़े तीन बजे तक जमे रहे. एसडीओ आलोक वरण केसरी ने नामांकित 11 प्रत्याशियों के कागजात को कार्यालय में एक साथ बैठकर बारीकी से जांच की. कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पांडेय सिंह ने स्क्रूटनी में पर्चा वैध पाये जाने के बाद एसडीओ कार्यालय से बाहर खुशी व्यक्त करते हुए कार्यकर्ताओं को जानकारी दी. वहीं भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार भगत की भी स्क्रूटनी में पर्चा वैध पाये जाने के बाद समर्थन में कार्यकर्ताओं ने खुशी व्यक्त की. कुछ देर के लिए एसडीओ कार्यालय गेट के बाहर भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में किये गये नारेबाजी से माहौल गरम हो गया. बाद में दोनों प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों के साथ चले गये. कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पांडेय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जिन तथ्यों के आधार पर उनके नामांकन रद्द कराने का प्रयास किया गया, ऐसा कोई भी तथ्य बनता ही नहीं है. उनकी अनुपस्थिति में भाजपा के एक कार्यकर्ता ने ऑब्जेक्शन आवेदन दिया था. श्रीमती पांडेय ने कहा कि उनके द्वारा एसडीओ कार्यालय आकर इसका जवाब दिया गया है. अगर शपथपत्र में कहीं त्रुटि हो भी जाती है, तो इस वजह से नामांकन रद्द नहीं किया जा सकता है. इन सभी बातों को लेकर उनके द्वारा आरओ के समक्ष रखा गया. आरओ ने बारीकी से जांच कर नामांकन को वैध पाया है्. दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि भाजपा हताशा में है. हर तरह का तंत्र लगाकर भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार अपने नामांकन में भीड़ इकट्ठा नहीं कर सके. अब लगातार अफवाह फैलाने का प्रयास किया जा रहा है. एक ऑब्जेक्शन पर ही उनके नामांकन की वैधता पर क्षेत्र में भ्रम फैलाने का काम किया व कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया गया. दूसरी तरफ मामले को लेकर भाजपा प्रत्याशी अशोक भगत ने कहा कि 2020 में आदिवासी उत्पीड़न का मामला दीपिका पांडेय सिंह के ऊपर दर्ज हुआ था. मामले में कांग्रेस प्रत्याशी को क्लीन चिट नहीं मिली है. नामांकन के दौरान शपथ पत्र में इस मामले को लेकर छुपाया गया है. हाईकोर्ट के अनुसार ऐसे में नामांकन रद्द और एफआईआर होना चाहिए था, मगर ऐसा नहीं किया गया. इस संबंध में निर्वाची पदाधिकारी सह एसडीओ आलोक वरण केसरी ने कहा कि शपथ पत्र में तथ्यों को छुपाने को लेकर भाजपा प्रत्याशी द्वारा आवेदन दिया गया था. दोनों पक्ष के उपस्थिति में सुनवाई करते हुए दीपिका पांडे सिंह के पर्चा को वैध पाया गया है.
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