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सिंहेश्वरनाथ मंदिर को नहीं मिल सका पर्यटन स्थल का दर्जा

विधानसभा स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने दिया था आश्वासन

पोड़ैयाहाट प्रखंड के प्रसिद्ध ऐतिहासिक सिंहेश्वर नाथ मंदिर झारखंड पर्यटन विभाग की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. यह मंदिर गोड्डा जिले के अतिरिक्त बिहार एवं बंगाल में भी लोगों की आस्था से जुड़ा है. सावन के अतिरिक्त सालों भर यहां विवाह, मुंडन एवं अन्य कार्य अन्य शुभ मंगल कार्यों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इसके बावजूद इसके पर्यटन विभाग द्वारा इसकी सुध नहीं ली जा रही है. बता दें कि इससे यहां आनेवाले श्रद्धालु काफी व्यथित हैं. सरकार की ओर से मंदिर के पुजारी आदि के लिए कोई वित्तीय सहायता भी नहीं दी जा रही है. झारखंड बने 24 साल हो गये हैं. लेकिन इस ऐतिहासिक जगह की सुध नहीं लेना झारखंड में राज करने वाले विभिन्न पार्टियों की सरकारों की मंशा पर सवाल खड़ा करता है.

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व :

इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है. राजा नल के अंतिम वंशज राजा भीम सिंह द्वारा निर्मित यह मंदिर 600 साल पुराना है. आज भी दीवारों पर शिलापट में पाली लिपि में उकेरी गयी लिखावट को पढ़ा नहीं जा सका है. कई बार यहां इतिहास के विशेषज्ञों ने दौरा किया. क्षेत्र में इस मंदिर से जुड़ी कई लोक कथाएं एवं किंवंदतियां प्रचलित है. ऐतिहासिक सिंघेश्वर नाथ मंदिर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को आकर्षित करने के कई आधारभूत संरचना ही दिखाई देती है. स्थानीय लोगों की मानें, तो मुख्य पथ से मंदिर तक प्रवेश के लिए चौड़ी सड़क चाहिए, जो नहीं है. चहारदीवारी बहुत पहले बनी थी, लेकिन बाढ़ की विभीषिका में 25 साल पहले टूट गयी और फिर दोबारा नहीं बनी. मंदिर परिसर में मास्ट लाइट, सेवादारों के लिए भवन, विवाह भवन शिवगंगा का सौंदर्यीकरण की काफी जरूरत है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुगाथान स्थान चौक, पोड़ैयाहाट-डांड़े रोड एवं हंसडीहा-बौंसी मुख्य पथ पर डांड़े मोड़ के पास भव्य तोरण द्वार के निर्माण का प्रस्ताव भी खटाई में पड़ा है. जानकारी हो कि दो जुलाई 2021 को झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो भी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे, तभी उन्होंने आम लोगों को आश्वासन दिया था कि मंदिर को पर्यटन स्थल की दर्जा देने के लिए पुरजोर कोशिश करेंगे.

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