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पहाड़ के आदिवासियों को पानी पिलाने की योजनाओं में ही छेद

सुंदरपहाड़ी के सुदुर पहाड़ी गांवों में स्वच्छ पानी पिलाने को लेकर सरकार की ओर से योजनाएं चलायी गयी. कई योजनाएं डीएमएफटी से चलायी गयी, तो कुछ राज्य सरकार की योजना केवल सोलर बेस्ड सिस्टम को लेकर था.

गोड्डा. सुंदरपहाड़ी प्रखंड के लोगों को पहाड़ के झरने का पानी पीना पड़ता है. आज भी बड़ी आबादी झरने के पानी को कच्चे कुएं में इकट्ठा कर पेयजल के रूप में इस्तेमाल करती है. जिले में करीब पांच वर्षों से सुंदरपहाड़ी के सुदुर पहाड़ी गांवों में स्वच्छ पानी पिलाने को लेकर सरकार की ओर से योजनाएं चलायी गयी. कई योजनाएं डीएमएफटी से चलायी गयी, तो कुछ राज्य सरकार की योजना केवल सोलर बेस्ड सिस्टम को लेकर था. करोड़ों के फंड के माध्यम से आदिवासी पहाड़िया व संताल को पानी पिलाने की इस तरह की योजनाओं में ही छेद निकल जाने की वजह से गरीब आदिवासियों के बीच पानी नहीं पहुंच पाया. इस बात को लेकर गांव के लोगों में काफी नाराजगी है. राज्य सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा कल्याण मद से आदिम जनजाति गांवों में पेयजल को लेकर बड़ा पाकतडी पंचायत के लगभग सभी गांव के टोले तक सोलर आधारित जलमीनार का निर्माण किया गया है. करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद सिस्टम बेकार पड़ा है.

ग्रामीण बोले-बचपन से तरस रहे बूंद-बूंद पानी के लिए

चेबोंगांव के रहने वाले चंद्रमा पहाड़िया, मासपाड़ा के निवासी दानियल पहाड़िया, पेरतारा के बागेश्वर पहाड़िया, गढ़ सिंगला निवासी नरेंद्र पहाड़िया, सालगामा के जवाहर पहाड़िया आदि के अलावा सुरजी पहाड़ीन, बागी पहाड़ीन, चांदी पहाड़ीन, पतरास पहाड़िया, जॉनसन पहाड़िया, धर्मा पहाड़िया, रूपा पहाड़िया ने बताया कि पहाड़ के लोग बचपन से ही एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते रहे हैं. मौका मिला तो जिला प्रशासन, सांसद, विधायक से पानी के व्यवस्था की गुहार लगाते रहे, लेकिन सरकार के करोड़ों रुपये बड़ा पाकतड़ी पंचायत में खर्च किये जाने के बावजूद अब तक पानी नसीब नहीं है. बताया कि गांव में जलमीनार बनाकर तैयार किया गया है. गड्ढे भी बनाये गये हैं. कुछ दिन बाद ही यह बेकार हो गया. उनकी समस्या जस की तस रह गयी है. आज भी हम सभी झरने के पानी को पेयजल के रूप में इस्तेमाल करते हैं. बड़ा चामेर गांव के चंद्रशेखर पहाड़िया ने बताया कि हमारे गांव में 3 साल पहले जल मीनार बनाया गया था. कुछ दिन पानी चलाया गया. इस दौरान विभाग के किसी ऑफिसर ने आकर जांच की और फिर चले गये. ठीक 15 दिनों बाद पानी की एक बूंद भी नहीं मिली और आज तक बेकार ही पड़ा है. कहा कि पहाड़ पर जलमीनार में पानी के लिए डीप बोरिंग की जगह काम कराने वाले ठेकेदार ने उसी झरना कूप के पानी को सोलर सिस्टम के माध्यम से टंकी में पहुंचाया. इसी पानी को सभी ग्रामीण वर्षों से पीते आ रहे हैं. झरना कूप का पानी धीरे-धीरे सूख गया और गांव के लोगों को पानी मिलना बंद हाे गया.

पेयजल की व्यवस्था व गड़बड़ी की जांच करें हेमंत दा

ग्रामीणों ने कहा कि उनके क्षेत्र के विधायक हेमंत दा यानि हेमंत सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत दा, उनके क्षेत्र में पानी को लेकर किये गये बड़े गड़बड़झाले की जांच करायें और गड़बड़ी करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करें.

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