झारखंड राज्य अलग होने के इतने वर्ष बीतने के बावजूद प्रखंड के पीपरा पंचायत अंतर्गत बाराबांध जग्गू टोला के ग्रामीणों को सड़क नसीब नहीं हो सका. मालूम हो कि टोला के ग्रामीण आज भी वर्षों पूर्व के पुराने ऊबड़-खाबड़ कच्ची रास्ते से टोला तक आवाजाही करने को मजबूर हैं. हैरानी वाली बात यह है कि टोले तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क तक नहीं है. जंगली पेड़ पौधे व झाड़ियों के बीच से पगडंडीनुमा रास्ता है, जिससे लोग जग्गू टोला पहुंचते हैं. गांव के अंदर सड़क की बात की जाये तो टोले की सड़क कच्ची है. लगभग 100 मीटर ही पक्की सड़क गांव में नजर आती है. बता दें कि जग्गू टोला तक पहुंचने वाली कच्ची सड़क पर बड़ा छोटा गड्ढा आवाजाही करने वालों को दुर्घटना का न्योता देता रहता है. ग्रामीणों के मुताबिक बारिश के मौसम में टोला का रास्ता पैदल चलने लायक भी नहीं रह जाता है. गांव के लोग सड़क को छोड़कर खेत बहियार और पगडंडी के रास्ते अपने घरों तक पहुंचा करते हैं. बारिश के मौसम में टोला के रास्ते व ग्रामीणों के घर के दरवाजे पर कई दिनों तक कीचड़ व जलजमाव की समस्या बनी रहती है. बता दें कि टोला के पुराने रास्ते की चौड़ाई कम रहने व बदहाल स्थिति के कारण अक्सर साइकिल एवं बाइक सवार गिरते पड़ते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि टोला के रास्ते पर आवाजाही में सबसे अधिक परेशानी रात के वक्त होती है जहां अक्सर लोग सड़क दुर्घटना का शिकार बन जाते हैं. सड़क समस्या पर स्थानीय वार्ड सदस्य सिफाली मरांडी, ग्रामीण भयो मरांडी, गणेश मरांडी, जितेन्द्र मुर्मू, महेंद्र मुर्मू,गलो मरांडी, तारबरियो मरांडी, जतन मरांडी,लालजी हेंब्रम, संझला मरांडी, सुबोध हेंब्रम आदि का कहना है कि जग्गू टोला में लगभग 45 घर आदिवासी समुदाय के हैं, लेकिन गांव तक पहुंचने वाले रास्ते में आजतक मिट्टी मोरन वाला भी सड़क नहीं बना. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार मांग उठाये जाने के बावजूद आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने मुख्य सड़क के पक्कीकरण कराये जाने की दिशा में पहल करना उचित नहीं समझा.
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