महागामा के धर्मोंडीह डलावर गांव में आयोजित सात दिवसीय संतमत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन देर शाम किया गया. भागवत कथा के अंतिम दिन बनारस से आये कथा वाचक स्वामी नरेशानंद महाराज द्वारा कृष्ण-सुदामा चरित्र का मनोरम वर्णन किया गया. इस दौरान कथा वाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया के सामने मित्रता की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया है. कहा कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा के पैरों को अपने आंसुओं से धोना, उनके लिए नंगे पैर दौड़कर उन्हें हृदय से लगाना और चावल को ग्रहण करना जैसा व्यक्तित्व भगवान श्रीकृष्ण के लिए ही संभव है. कहा कि सुदामा चरित्र का प्रेरक प्रसंग निस्वार्थ मित्रता की मिसाल है. इस प्रसंग से सभी के जीवन में रिश्तों की महत्ता का निर्माण करने की अनूठी सीख मिलती है.
विषम परिस्थिति में भी मनुष्य को नहीं चाहिए घबराना
कथा वाचक ने कहा कि मित्रता करो तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी. सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताये ही मदद कर दे. कथा के दौरान कृष्ण सुदामा चरित्र के माध्यम से लोगों को निस्वार्थ भाव से मित्रता निभाने का संदेश दिया गया. कृष्ण सुदामा के मित्रता की कथा सुनाते हुए कहा कि इससे हमें और समाज को सीख मिलती है कि विषम परिस्थिति में भी मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए. समय आने पर हमेशा अपने मित्र का सहयोग करना चाहिए. मन में किसी प्रकार का लोभ एवं आशा लेकर मित्रता नहीं करना चाहिए. कथा के अंतिम दिन कृष्ण-सुदामा चरित्र का वर्णन सुनने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर जुटा. पूरा कथा पंडाल श्री राधे के जय घोष से गूंज उठा. कथा समापन के बाद श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है