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गोड्डा के एक मजदूर की फिर पंजाब के शंभू बॉर्डर पर काम के दौरान मौत

परिजनों की चीत्कार से पूरा गांव मातमी माहौल में तब्दील

गोड्डा जिले के बसंतराय थाना क्षेत्र अंतर्गत बाघाकोल पंचायत के बिसम्मभर चक गांव निवासी 40 वर्षीय कैलाश पासवान की मौत पंजाब के शंभू बॉर्डर पर काम के दौरान हो गयी. घटना की सूचना पीड़ित परिवार को दी गयी है. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया कि पांच मई को ही दिन में कैलाश पासवान की मौत काम के दौरान हो गयी थी. लेकिन संवेदक द्वारा एम्बुलेंस सेवा से भेज कर बीमारी का हवाला देते हुए रात में जानकारी दी गयी. जबकि शव को देखने से पता चलता है कि ऊंची जगह से गिर कर इनकी मौत हुई है. मंगलवार को सुबह जब लाश गांव पहुंचा, तो देखने वालों की भारी भीड़ जमा हो गयी. परिजनों की चीत्कार से पूरा गांव मातमी माहौल में छा गया. मृतक कैलाश पासवान भूमिहीन परिवार से था. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरन पोषण करता था. जनवरी माह में ही वह पंजाब कमाने गया था. जहां उसकी मौत काम के दौरान हो गयी. मृतक की पत्नी चंदा देवी ने नम आंखों से बताया कि न तो रहने का घर है और न ही जमीन जगह. चार बच्चों का लालन-पालन पति की कमाईं से चलता था. चंदा देवी ने प्रखंड प्रशासन से घर-पेंशन और आर्थिक सहायता की मांग की है. प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभाष चंद्र दास ने कहा कि तत्काल मृतक के परिवार को खाने के लिए चावल उपलब्ध कराया गया है . पेंशन के लिए पंचायत सचिव को निर्देश दे दिया गया है. साथ ही आवास का लाभ भी मिलेगा. श्रम विभाग को भी सूचना दे दी गयी है. ………………………………… बॉक्स मे गोड्डा प्रखंड के दो मजदूर की जनवरी माह में पहले भी हो चुकी है मौत प्रतिनिधि, गोड्डा जिले के दो मजदूरों की मौत पहले भी जनवरी माह में हुई है. नेपूरा पंचायत के ककना गांव के जय हिंद राय की मौत काम करने के दौरान हो गयी थी. मजदूर हरियाणा में काम करता था. सीढियों से गिरकर जान चली गयी थी. वहीं इसी माह मछिया सिमरडा पंचायत के लालुर गांव के एक मजदूर की मौत हो गयी थी. परदेश कमाने गये मजदूरों के साथ लगातार इस प्रकार का हादसा हो रहा है. यह कोई नया नहीं है. पहले भी जिले के हनवारा, महागामा, ठाकुरगंगटी आदि प्रखंडो में मजदूर की मौत काम करने के दौरान हुई है. मालूम हो कि जिले में भारी संख्या में मजदूरों का पलायन दूसरे राज्य काम के लिए होता है. ऐसे में बाहर में मजदूरों की मौत काम के दौरान हो जाती है. कभी कभी तो मजदूर परिवार के द्वारा मृतक के शव का दर्शन होना भी दुर्लभ हो जाता है. मजदूरों के काम की गारंटी जिले में नहीं होने के कारण भारी संख्या में मजदूर का पलायन दिल्ली, राजस्थान, बंगलौर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में हर साल होता है.

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