गोड्डा में मॉनसून के भरोसे खरीफ की कार्ययोजना, 51500 हेक्टेयर में खरीफ की खेती का लक्ष्य
खरीफ के लिए खेतों को तैयार करने में लगे हैं किसान
गोड्डा जिले में मॉनसून के सहारे विभाग खरीफ की कार्ययोजना विभाग तैयार कर रहा है. हरेक साल 51 हजार 500 हेक्टेयर में खरीफ की खेती का लक्ष्य रखा जाता है. इसमें धान के अलावा मकई, अरहर आदि फसलों को बोये जाने की रणनीति तैयार की जाती है. हरेक साल जिले में तकरीबन इतने ही सिंचित जमीनों पर खरीफ का लक्ष्य रखा जाता है, जो पूरा कारोबार मॉनसून के भरोसे है. मॉनसून की मेहरबानी पर ही विभाग की कार्ययोजना पूरी तरह सफल होगी. किसान फिलवक्त खरीफ के लिए खेतों को तैयार करने में लगे हैं. किसान मॉनसून की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं. सब कुछ ठीक ठाक रहा, तभी किसान के हित में मामला रहेगा.
दगा दे गया जून का महीना, किसान हुए मायूस
जून महीना मॉनसून के प्रवेश का समय माना जाता है. पूरा महीना बगैर बारिश के ही समाप्त हो गया. जून के माह में जिलेभर में मात्र 10 मिमी वर्षापात रिकॉर्ड की गयी है, जबकि जून माह का सामान्य वर्षापात विभाग की फाइलों में 186.9 मिमी है. पूरे महीना बगैर बारिश के तो बीता ही, साथ ही पूरे माह लोगों ने तेज धूप व उमस भरी गर्मी को भी झेला. मालूम हो कि जून माह में किसान रोहण नक्षत्र में धान का बिचड़ा तैयार करते हैं. लेकिन इस बार भी मुश्किल से 10 फीसदी धान का बिचड़ा गिराया गया है. इसको बचाने की जद्दोजहद हो रही है. जैसे-तैसे बिचड़ा को बचाने का काम किया जा रहा है. किसान ऐसे में अत्यंत मायूस हैं. लगातार पिछले कई सालों से किसानों ने जिले में सुखाड़ का दंश झेला है. पूरे जिले में इस अवधि में छिटपुट व एकाध दिन वर्षा हुई. खेती के दृष्टिकोण से यह महीना सिफर रहा. किसी काम का नहीं रहा. हालांकि पिछले साल भी जून माह में 28 जून तक मात्र 4 फीसदी वर्षापात रिकॉर्ड की गयी थी. जुलाई के अंतिम महीने में ताबड़तोड़ वर्षा हुई, जिसके बाद तेजी से किसान खेतों में खरीफ की बुआई करने में जुटे.
2022 में जिले ने भीषण सुखाड़ का झेला है दंश
ज्ञात हो कि 2022 में गोड्डा जिला में भीषण सुखाड़ हुआ है. मुश्किल से 5-10 फीसदी सिंचित भूमि पर धान की खेती संभव हो पायी. पूरे जिले में किसान धान की फसल को उपजाने के लिए लालायित दिखे. इतना भीषण सुखाड़ अब तक जिले के किसानों ने नहीं देखा था. इसके विपरित 2023 राहत भरा रहा. वर्ष 2023 में जिले में जमकर धान की खेती हुई. बंपर धान की पैदावार भी हुई.
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