गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड में महर्षि मेंहीं आश्रम हाहाजोर लहठी के स्थापना दिवस पर आयोजित दो दिवसीय त्रिवेणी संगम संतमत सत्संग का झारखंड प्रांतीय अधिवेशन का समापन हो गया. दो दिवसीय सत्संग कार्यक्रम में देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों से पधारे साधु-महात्माओं ने अपने उपदेश से भक्तजनों को कल्याण का मार्ग बताया. अंतिम पाली में सत्संग वाचन करते हुए आचार्य स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ने भक्ति के बारे में उपस्थित लोगों को बताया. कहा कि भगवान भगवान श्रीराम ने शबरी माता को भक्ति के नौ प्रकार का उपदेश दिया था. प्रथम भक्ति साधु-संतों की संगति एवं सेवा है. शबरी माता ने पूर्व जन्म में गुरु से दीक्षा नहीं ली थी, लेकिन वह साधु महात्माओं की सेवा करती थी. इस कारण से उसे संत सद्गुरु मतंग ऋषि से ज्ञान प्राप्त हुआ और परमात्मा का दर्शन सुलभ हो पाया. नौ प्रकार की भक्ति में वह निपुण थीं. महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का इस धरा धाम पर भूले-भटके जीवन के कल्याण के लिए हुआ है. हम लोग सभी परम सौभाग्यशाली है कि पूर्ण गुरु की छत्रछाया का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. सत्संग में बताया गया कि गुरु महाराज के बताये साधना पद्धति पर चलकर और विषय विकारों से दूर रहकर परमात्मा का साक्षात्कार कर सकते हैं. जन्म-मृत्यु के बंधन से छूटकर जीव मोक्ष प्राप्त कर सकता है. इसके लिए प्रातःकालीन और अपराह्न कालीन दो पालियों में सत्संग भजन कीर्तन स्तुति विनती धर्म ग्रंथ पाठ से आरंभ हुआ. भीषण गर्मी के बावजूद सत्संग कार्यक्रम में स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज का प्रवचन सुनने भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. स्वामी ज्ञानी बाबा,अनिमेष बाबा, छत्रपति बाबा ने भी प्रवचन दिया. धन्यवाद ज्ञापन महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साह ने किया, हजारों की संख्या में भक्त जनों ने सत्संग में भाग लिया.
दो दिवसीय त्रिवेणी संगम संतमत सत्संग का समापन
महर्षि मेंहीं आश्रम हाहाजोर लहठी के स्थापना दिवस पर सत्संग
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