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बोआरीजोर में लाभुक को सरकार की ओर से दी गयी बकरियां मरी

पशुधन योजना के तहत बांटा गया था बकरी, ग्रामीण में आक्रोश

बोआरीजोर प्रखंड में पशुधन योजना के तहत बांटी गयी बकरियां लगातार मर रही है. बेहतर नस्ल की बकरी की आपूर्ति नहीं किये जाने की वजह से वितरण के कुछ दिनों के बाद से ही बकरी के मरने का सिलसिला जारी है. जिलेभर में लगभग सभी प्रखंडों में बकरी के मरने की वजह से पशुपालक सदमे में हैं. आय की वृद्धि के विपरित पशुपालक को घाटे का सामना करना पड़ रहा है. प्रखंड के हिजूकिता, कुसमा, डकैता, बाघमारा, चांदसर आदि गांव में मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत पशुपालन विभाग की ओर से क्षेत्र के 30 लाभुकों के बीच बकरी का वितरण किया गया है. दो माह पहले बांटी गयी बकरियों में से एक लाभुक हिजूकिता गांव की रहने वाली ललिता देवी की बकरी भी शनिवार को मर गयी. बकरी के मरने के बाद लाभुक ललिता देवी भी दुखी हैं. उसके द्वारा विभाग को सूचना दिये जाने के बावजूद अब तक विभाग की ओर से ना तो सुनी गयी व ना ही किसी भी प्रकार की सूचना लेकर मरी हुई बकरी के बारे में पड़ताल ही किया. बताया जाता है कि बांटी गयी बकरी में प्रत्येक लाभुक को चार बकरी एवं एक बकरा दिया गया था. बकरी के बंट जाने के बाद क्षेत्र की ज्यादातर बकरियां मर गयी है. सरकार की ओर से एक यूनिट पर पांच बकरी जिसमें राशि के तौर पर 24800 रुपये खर्च किया गया है. उक्त राशि में से 21 000 बकरी पर एवं 8% की दर से बीमा किया जाना है. बीमा की राशि 1680 रुपये की दर से दिया जाना है. बकरी के दवा पर 1000 रुपये का खर्च भी जुड़ा है. अन्य खर्च 11 20 रुपये की दर से सरकार की ओर से गरीब परिवार को आर्थिक उन्नयन के लिए दी जा रही है. इनमें से बकरी, सूअर, गाय एवं मुर्गी पालन पर करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है. सरकार के नियम के अनुसार आदिवासी व हरिजन को 90%, ओबीसी जनरल जाति के लाभुक को 75% अनुदान पर बकरी दी जाती है. गरीब परिवार अपना अंशदान कठिन मेहनत से जमा कर बकरी लेते हैं. बकरी के मर जाने से निराशा हाथ लगी है. बकरी की मौत के बाद बीमा की राशि लाभुक को दिए जाने का प्रावधान है. मगर ऐसे लाभुक प्रखंड का चक्कर काट काट कर परेशान हो जाते है. प्रखंड के पशुपालन डॉक्टर के द्वारा भी कोई रुचि नहीं लिया जा रहा है. ग्रामीण की शिकायत के बाद भी डॉक्टर कोई भी पहल नहीं कर रहे हैं. यहां तक की क्षेत्र के लोगों के मोबाइल पर बात करना भी पसंद नहीं करते है. बताते चलें कि कुछ दिन पहले कुसमा गांव के देवीमय मरांडी एवं हिजूकिता गांव के कैलाश महतो की सभी बकरी मर जाने की वजह से अब तक उसे भी बीमा का लाभ नहीं मिल पाया है. ‘सरकार के द्वारा अत्यधिक कार्य दे दिया गया है. सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी जाना पड़ता है. बकरी के मर जाने की शिकायत मिलने पर काम की वजह से जांच नहीं कर पाया हूं. यहां तक की काम की वजह से लोगों के फोन तक को रिसीव नहीं कर पाता हूं. – बालेश्वर शर्मा, पशु चिकित्सा पदाधिकारी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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