गोड्डा : हरीदेवी रेफरल अस्पताल में स्वास्थय व्यवस्था बेहाल, पांच की जगह सिर्फ एक डॉक्टर कार्यरत

अस्पताल में पांच डॉक्टरों की जगह मात्र एक डॉक्टर कार्यरत हैं. ए-ग्रेड नर्स तो है, पर एएनएम की काफी कमी है. 22 के जगह मात्र 15 कार्यरत हैं. यहां सीटी स्कैन की कोई सुविधा व्यवस्था नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 21, 2023 1:33 PM

ठाकुरगंगटी प्रखंड के नामी अस्पताल के रूप में हरीदेवी रेफरल अस्पताल की चर्चा वर्षों से लोगों के बीच है. क्षेत्र की बड़ी आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में अस्पताल असफल हो रहा है. सुदूरवर्ती क्षेत्र का यह अस्पताल में मात्र एक चिकित्सक के भरोसे संचालित है. अरसे से अस्पताल में चिकित्सक का पदस्थापन नहीं हो पाया है. यहां वर्षों से महिला चिकित्सक की मांग की जा रही है. 30 बेड वाले रेफरल अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण दूर-दराज के गरीब व मध्यम वर्ग के रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के उपचार के लिए महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति भी नहीं हो सकी है. इस वजह से पुरुष चिकित्सक के भरोसे ही प्रखंड के 124000 लाख की आबादी का इलाज हो रहा है. इनमें 54 हजार महिला की आबादी है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इलाज के दौरान पूरी बातों को खुल कर बता पाने में पुरुष चिकित्सक के सामने झिझकती हैं. यहां जिले के अलावा सीमावर्ती साहिबगंज व भागलपुर जिले के मरीज भी इलाज कराने काफी संख्या में पहुंचते है. ओपीडी में प्रतिदिन 125 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है.


महीलाओं का प्रसव में भी अड़चन

प्रत्येक दिन पांच से लेकर आठ महिलाओं का प्रसव भी कराया जाता है. महीने में चार बार महिलाओं का बंध्याकरण होता है. माह के प्रत्येक नौ तारीख को अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की जाती है. इलाज पुरुष डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. उनके परामर्श से ए ग्रेड की नर्स कार्य करती हैं. दूसरी ओर इस अस्पताल में 8 से 10 रोगी अक्सर इलाजरत रहते हैं. स्वास्थ्य उपकेंद्र की संख्या 11है. अस्पताल में पांच डॉक्टरों की जगह मात्र एक डॉक्टर कार्यरत हैं. ए-ग्रेड नर्स तो है, पर एएनएम की काफी कमी है. 22 के जगह मात्र 15 कार्यरत हैं. यहां सीटी स्कैन की कोई सुविधा व्यवस्था नहीं है. लोगों को जब इसकी जरूरत पड़ती है तो 70 किलोमीटर लंबी दूरी तय कर गोड्डा या फिर 75 किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर भागलपुर बिहार की ओर जाना पड़ता है. खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्हें मजबूरीवश ग्रामीण चिकित्सक का सहयोग लेना पड़ता है. अस्पताल को करोड़ों का भवन है, मगर सुविधा की कमी है.

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