सिदो-कान्हू ने अंग्रेज व महाजनों के अत्याचार से मुक्ति के लिए किया संघर्ष : डीसी
हूल दिवस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने किया सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण
हूल दिवस पर स्थानीय कारगिल चौक स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर डीसी जिशान कमर एवं एसपी नाथू सिंह मीणा ने संयुक्त रूप से माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान नमन करते हुए वीर सपूत के प्रति सम्मान व्यक्त किया. डीसी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सिदो-कान्हू ने आदिवासी तथा गैर आदिवासियों को अंग्रेज व महाजनों के अत्याचार से मुक्ति को लेकर आंदोलन किया. वर्ष 1855-56 में ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों, व्यापारियों व जमींदारो के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह की शुरूआत की. संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन कहलाया. सिदो-कान्हू संथाल विद्रोह के नेतृत्वकर्ता थे. महाजनी प्रथा, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल में आवाज बुलंद किया था. अभियान में इन्हें इनके दो भाई चांद व भैरव एवं दो बहन फूलो-झानों का भी सहयोग रहा. भोगनाडीह में संथाल विद्रोह के आरंभ कर सिदो-कान्हू को सेनापति चुना गया. दस हजार संथाल के सहयोग से आंदोलन की शुरूआत की गयी. उनके त्याग व बलिदान को आज भी याद किया जाता है. एसपी नाथु सिंह मीणा ने कहा कि 1855 में सिदो-कान्हू ने संथाल से आजादी का बिगुल फूंका था. तोप व गोलियों के सामने तीर-धनुष से ही अंग्रेजों को सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानों ने जीत दिलायी थी. वीर शहीदों के बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. इस दौरान विनय कुमार मिश्रा, रितेश जयसवाल, श्रवण राम, प्राण महतो, बीडीओ दयानंद जयसवाल, सीओ अनिल रविदास आदि मौजूद थे.
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