जिला मुख्यालय सहित प्रखंड क्षेत्र के सुदूर गांवों में शब ए बारात पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खूब इबादत की. पर्व को लेकर पारंपरिक वेशभूषा में मगरिब की नमाज अदा किया. मगरिब की नमाज के बाद सीधे कब्रिस्तान की ओर रुख किया गया. सभी ने कब्रिस्तान पहुंचकर अकीदत के साथ अपनों की कब्र के पास कैंडल जलाकर रौशन किया. इस क्रम में फातेहा पढ़ा और अल्लाह ताला के बारगाह में हाथ उठाकर गुनाहों की माफी के लिए दुआ मांगी. इसके बाद अपने-अपने घर पहुंच कर कैंडल जलाकर रौशन किया. बताया जाता है कि शब ए बारात की संध्या के वक्त मगरिब के अजान होने के बाद अपनों की रूह घर पर आती है. अपनों को देख लेने के बाद रूह वापस कब्रिस्तान लौट जाती है. इसलिए मुसलमान भाई संध्या बेला में घर को रौशन करते हैं. शब ए बारात के मौके से अकीदतमंदों द्वारा ईशा की नमाज अदा करने के उपरांत दुनिया से रूखसत करने वाले रिश्तेदारों एवं बुजुर्गों के लिए पूरी रात इबादत कर दुआ मांगते हैं.
घर-घर पकता है हलवा-पुड़ी और दोस्ती रोटी
शब ए बरात के मौके से अल्पसंख्यक समुदाय के घर-घर में हलवा पूड़ी और दोस्ती रोटी बनायी जाती है. मां-बहनों की ओर से पूरे साफ तौर पर बर्तन का इस्तेमाल करते हुए हलवा, पूड़ी और दोस्ती रोटी बनायी जाती है. इसे गरीब मिस्किनों में तकसीम भी किया जाता है.मगफिरत की रात है शब ए बारात : नेजामशहर के प्रसिद्ध मौलाना नेजाम अशरफी ने बताया कि सब ए कद्र यानी मगफिरत की रात है. शब ए बरात.इस रात में मुसलमानो को पूरी रात इबादत में गुजार देनी चाहिये.जितनी इबादत करेंगे, उतना ही अपनों और बुजुर्गों को सवाब भेज पाएंगे. दूसरी ओर सर के जामा मस्जिद के पैसे इमाम मौलाना आजाद मिसवाही ने जुमे में तकरीर के दौरान बताया कि शब ए बरात इबादत की रात तो होती ही हैकुरान ए पाक का करते हैं तिलावतदूसरी ओर मुसलमान भाइयों बहनों की ओर से कुरान ए पाक की तिलावत कर इबादत करते हैं. घर-घर में तिलावत का सिलसिला रात 9:00 बजे से शुरू होकर सुबह के 5:00 बजे तक चलता रहा. वही, मस्जिदों में भी पूरी रात इबादत करने के बाद फजर की नमाज अदा कर हकीकत मंत्र अपने-अपने घर को लौटे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है