मनचाहे स्थान पर पदस्थापन के लिए जुगाड़ लगा रहे दूसरे जिलों से आये शिक्षक
जिले के कई स्कूलों में मात्र एक शिक्षक के भरोसे हो रही पढ़ाई
दूसरे जिले से हाल के दिनों में गोड्डा जिला में शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया है. स्थानांतरित शिक्षकों के पदस्थापन में शिक्षक अपने जुगाड़ तंत्र से मनमाने स्थान पर पोस्टिंग करने की जुगत में हैं. स्थानांतरित शिक्षक वैसे विद्यालयों में जाने को तैयार हैं, जहां पहले से ही शिक्षक की उपस्थिति ठीक-ठाक है और छात्र संख्या कम है. जानकारी के अनुसार हाल के दिनों में जिले में पहले 24 तथा इधर कुछ दिनों पहले 34 शिक्षकों को दूसरे जिले से लाकर यहां पदस्थापित किया गया है. हालांकि अब तक विभाग के स्थापना की बैठक नहीं की गयी है. बैठक के बाद ही शिक्षकों की पोस्टिंग की जाएगी. सूत्रों की मानें तो विभागीय स्तर पर कुछ कर्मी वैसे किसी भी स्कूल में शिक्षकों को लगाने में नहीं लगा है, जहां बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है. मालूम हो कि जिले में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां मात्र एक शिक्षक हैं. जिनका अधिकांशत: समय मध्यह्न भोजन का खाना तैयार करवाने से लेकर स्कूल की रिपोर्ट तैयार करने में समय बीतता है. बाकि समय बीआरसी का चक्कर काटने में बीत जाता है. ऐसे में स्कूल में पठन-पाठन का अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है. जिले में शिक्षकों की पहले से ही कमी चली आ रही है. बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं, जहां औसतन 70 से 100 बच्चे पर एक ही शिक्षक हैं. परंतु इन स्थानों पर शिक्षकों का पदस्थापन नहीं कर चहेते स्थान पर भेजने की तैयारी चल रही है. इससे शिक्षा में कोई सुधार नहीं होगा. शिक्षक के पदस्थापन में वैसे विद्यालयों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जहां पर शिक्षक की कमी है. छात्र संख्या अधिक है.
शिक्षा विभाग पदस्थापन में बरते पूरी पारदर्शिता : अरुण सहाय
इस बाबत कम्युनिस्ट नेता अरुण सहाय ने कहा कि जिले में शिक्षक की कमी है. ऐसे में शिक्षा विभाग पदस्थापन में पूरी पारदर्शिता बरते. जिन जगहों पर शिक्षक को भेजा जाना है, सबसे पहले वैसे विद्यालय की छात्र संख्या, शिक्षक की संख्या और औसत छात्र की उपस्थिति लेनी चाहिए. इसके बाद ही शिक्षकों को भेजा जाना चाहिए. एक तो पहले से ही शिक्षकों की कमी से सरकारी स्कूलों का बंटाधार हो रहा है. रूआर कार्यक्रम के प्रखंडस्तरीय कार्यशाला में आये पंचायत प्रतिनिधियों ने गांव में चल रहे सरकारी स्कूल की पोल खोल कर रख दी थी. शिक्षकों के पदस्थापन में जिले में स्कूलों में असमानता है. कहीं 300 बच्चे पर 10 शिक्षक हैं, तो कहीं 100 पर एक. पैरवी व जुगाड़ तंत्र से पहले ही जिले में कई शिक्षकों ने मनमाने स्थान पर अपना पदस्थापन कराया है. ऐसे में स्कूलों में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है.
कई स्कूलों में छात्रों की संख्या कम रहने के कारण जमे हैं शिक्षक
जिले में पहले से ही कई ऐसे प्राइमरी एवं मध्य विद्यालय हैं, जहां छात्र संख्या से अधिक शिक्षक पदस्थापित हैं. ऐसे विद्यालयों में छात्र संख्या कम रहने के बाद भी अधिक शिक्षक वर्षों से जमे हुए हैं. जिला मुख्यालय में ही गोड्डा पश्चिमी व पूर्वी के कई ऐसे स्कूल हैं, जहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहा है. पूर्व में विभाग की ओर से इसकी सूची भी मांगी गयी थी. सूची भी बनकर तैयार हुई, लेकिन आज तक संबंधित विद्यालय से ना तो तबादला हुआ और ना तो प्रतिनियोजन हो सका. इसके कारण स्कूलों में पठन-पाठन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. आलम यह है कि जहां शिक्षक अधिक हैं, वहां पढ़ाई-लिखाई के बजाय गपशप में शिक्षक का समय बितता है और जहां शिक्षक काम है, वहां रिपोर्ट बनाने में शिक्षक का समय बीत रहा है. लेकिन विभाग और सरकार इस दिशा में कहीं से गंभीर नहीं दिख रही है.
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