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निर्धारित समय सीमा में अंदर अस्पताल को करें तैयार : डीसी

महागामा में नवनिर्मित 50 बेड की क्षमता वाले अनुमंडलीय अस्पताल का किया निरीक्षण

डीसी जिशान कमर ने बुधवार को डीएमएफटी मद से महागामा में बन रहे 50 बेड क्षमता वाले अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने संबंधित पदाधिकारी को जल्द से जल्द निर्धारित समय सीमा में अस्पताल को तैयार करने का निर्देश दिया गया. इस क्रम में डीसी ने स्वास्थ्य विभाग से अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के संबंध में जानकारी लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दिया. उन्होंने अस्पताल के विभिन्न नवनिर्मित वार्डों का निरीक्षण कर सिविल सर्जन गोड्डा से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर जरूरी निर्देश दिया. डीसी ने कहा कि लगभग 24 करोड़ रुपये की लागत से 50 बेड की क्षमता का अनुमंडलीय अस्पताल बनाया जा रहा है, जिसमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होगी. यह अस्पताल नये साल तक चालू हो जाएगा, जिसमें जिले के मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी. नये अस्पताल के निर्माण से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

डीसी ने एसडीओ को दिये जांच के निर्देश

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सह रेफरल अस्पताल महागामा में प्रसव के दौरान इलाज में लापरवाही बरतने के मामले को लेकर डीसी जीशान कमर ने एसडीओ आलोक वरण केसरी को मामले की जांच कर कार्यवाही का निर्देश दिया है. शिकायतकर्ता ने बताया कि 20 नवंबर की रात महागामा निवासी मोनिका कुमारी को प्रसव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महागामा में भर्ती कराया गया था. जहां पर नवजात के इलाज में लापरवाही बरती गयी थी. इससे बच्चे की स्थिति बिगड़ने के बाद बाहर रेफर कर दिया गया था. डीसी को पूरे मामले में अवगत कराते हुए कहा कि डिलीवरी के कुछ देर बाद बच्चे की स्थिति गंभीर हो गई थी. इस दौरान तैनात डॉक्टर लेबर रूम के कक्ष में सोये रहे और बच्चे को देखा तक नहीं. नर्स के कहने पर गोड्डा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहीं अभिभावक द्वारा नवजात की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर नर्स द्वारा गंभीर स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं देकर ठीक होने का घंटों बहाना बनाया गया. स्थिति गंभीर होने पर सुबह चार बजे नवजात को रेफर कर दिया गया था. गोड्डा में चिकित्सक डॉ अशोक मेहता ने नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए भागलपुर रेफर कर दिया था, जहां भागलपुर के निजी क्लीनिक में गंभीर रूप से इलाजरत नवजात का 13 दिनों तक इलाज के बाद हालत में सुधार हुआ. तब जाकर बच्चे की जान बच सकी. मामले को लेकर नवजात के पिता गुंजन कुमार ने डीसी से कार्रवाई की गुहार लगायी. डीसी ने मामले का त्वरित संज्ञान लेते हुए एसडीओ को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है.

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