2006 में किया गया था उदघाटन, छात्र तो नहीं रह रहे मगर तबेले में तब्दील हो गया छात्रावास

25 लाख रुपये की लागत से गोड्डा कॉलेज परिसर में बनाया गया था अल्पसंख्यक छात्रावास

By Prabhat Khabar News Desk | September 16, 2024 11:49 PM

यहां कहने को तो सब कुछ ठीक है. नौनिहालों के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है. यह बातें भले ही मंच पर सुनने में अच्छी लगती हो, मगर आज भी कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो लाेगों को इस बात की पूरी तरह से जानकारी देकर निकल जायेगी कि कहने व करने में बड़ा फर्क है. हम बात कर रहे हैं गोड्डा कॉलेज के अल्पसंख्यक छात्रावास की. गोड्डा कॉलेज के कैंपस में एसटी, एससी, पिछड़ी जाति के छात्रावास हैं, मगर यहां लाखों की राशि से बना अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास जमिंदोज होने की स्थिति में है. 20 साल पहले वर्ष 2006 में तात्कालीन सांसद फुरकान अंसारी ने पूरे तामझाम के साथ इस अल्पसंख्यक छात्रावास का उदघाटन कर पूरी वाहवाही लूटी थी. भवन उदघाटन के बाद इसकी उपयोगिता नहीं हो सकी. बेहतर व दो तले भवन में करीब 25 कमरे के साथ पूरी तरह से छात्रों के रहने की व्यवस्था के बावजूद विभाग की ओर से कॉलेज को हस्तगत नहीं किया गया औैर ना ही अब तक एक भी छात्रों को इसमें रखा गया.

कहा जाये, तो भवन बनने के बाद श्रापित साबित होने वाले इस दो मंजिले भवन को बनाने में कल्याण विभाग की ओर से 25 लाख की राशि व्यय की गयी थी, जो आज जमींदोज हो रहा है.

क्या है हाल :

गोड्डा कॉलेज के पीछे वर्ष 2006 में करीब 25 लाख रुपये खर्च कर अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास का निर्माण किया गया था. 25 कमरे व लगभग सौ सीटों वाले छात्रावास के बन जाने के बाद तत्कालीन सांसद द्वारा उदघाटन किया गया था. उस वक्त छात्रावास उदघाटन के बाद कॉलेज में पड़ने वाले सैकड़ों अल्पसंख्यक छात्रों के बीच आस जगी थी कि अन्य छात्रावास की तरह उन्हें भी बगैर पैसा खर्च किये छात्रावास में रहने का मौका मिलेगा. मगर दुखद पहलू यह रही कि भवन के उदघाटन के बाद से ही ना तो छात्रावास को सुर्पूद किया गया व ना ही छात्रों को कमरे आवंटित ही किया गया. छात्रावास के बारे में छात्रों का कहना है कि विभाग ने छात्रों को आवास सुपुर्द नहीं किया. इस कारण अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को कमरे का आवंटन नहीं किया जा सकता.

कमरे का शीशा और किवाड़-खिड़की भी उखड़ गया :

छात्रावास को बेहतर बनाया गया था. सभी कमरे की खिड़की में शीशा लगाया गया था. यह छात्रावास पिछड़ी जाति के छात्रावास के समीप ही बना था, मगर चारो ओर खुला रहने व जंगल वाले स्थान में छात्रावास रहने के कारण पहले किवाड़ व खिड़की के बाद चोर व उच्चकों ने ईंट तक को उखाड़ लिया है.

जर्जर छात्रावास बना मवेशी व आवारा पशुओं का डेरा :

किसी भूत बंगले में तब्दील अल्पसंख्यक छात्रावास जर्जर हो गया है. छात्रावास के नीचे के कमरे में आवारा पशुओं का तबेला बना है. यहां किसी की नजर अब तक नहीं पड़ने की वजह से छात्रावास पर खर्च की गयी 25 लाख की राशि की साफ बर्बादी हुई है. सरकार की राशि के इस दुरुपयोग को देखने वाला कोई नहीं है.

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