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आधुनिक विकास की सच्चाई से कोसों दूर आदिम जनजाति के लोग

गोड्डा के सुंदरपहाड़ी प्रखंड की अनदेखी: सड़क की सुविधा से वंचित पाकतड़ी पंचायत के 26 गांव

By Prabhat Khabar News Desk | November 25, 2024 11:27 PM

गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड का एक क्षेत्र, जो पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड की सीमा से सटा हुआ है, विकास के अभाव में कई समस्याओं का सामना कर रहा है. सुंदरपहाड़ी के ग्रामीणों की समस्याएं उनकी दूरस्थता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव को उजागर करती हैं. यहां स्थित बड़ापाकतड़ी पंचायत , जो पहाड़ के शीर्ष पर बसा है, सड़क सुविधा के अभाव में अपनी कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है. इस पंचायत में कुल 26 गांव शामिल हैं, जिनमें सलगामा, पेरतारा, बड़ा और छोटा चामेर, नादोपाड़ा, बड़ा और छोटा पालमा, गढ़गामा, बलानी, राखा, डुमली, घघरी, नादगोड़ा, चमडोड, तेलो, चेबो और चरचरी जैसे गांव प्रमुख हैं. इन गांवों में अधिकांश जनसंख्या आदिम पहाड़िया जनजाति की है. पहाड़ों और उबड़-खाबड़ रास्तों से घिरा यह क्षेत्र सड़क सुविधा से वंचित है, जिससे यहां पहुंचने और बाहर जाने के लिए केवल पगडंडियां ही सहारा हैं. गांवों में किसी भी प्रकार के वाहन ले जाना लगभग असंभव है, जिसके कारण लोग पैदल ही दूर-दराज की यात्राएं करने को मजबूर हैं. गांव के लोग प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर पैदल चलकर बलमी गांव तक आते हैं. बलमी पहाड़ के नीचे स्थित है, जहां से लोग अन्य साधनों के जरिए पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के शिमला होते हुए सुंदरपहाड़ी मुख्यालय पहुंचते हैं. यह सफर करीब 50 किलोमीटर लंबा होता है. दूसरा विकल्प तेतरिया के रास्ते प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने का है, लेकिन पैदल यात्रा की दूरी लगभग 15 किलोमीटर होने के कारण इस मार्ग का कम ही उपयोग किया जाता है. गढ़सिंगला, चरचरी, घघरी, नादगोड़ा, डुमली और चमड़ाडे जैसे गांवों के निवासी इसी दुर्गम रास्ते का सामना करते हैं.

ग्रामीणों की व्यथा: विकास से दूर जीवन :

पलमा निवासी चंद्रशेखर पहाड़िया , पलमा गांव के निवासी, बताते हैं कि उन्हें अपने दैनिक उपयोग की चीजों को सिर पर उठाकर पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई पर चढ़ना पड़ता है. उनका कहना है कि अगर सड़क बन जाये, तो इससे उनकी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है. पहाड़ के किसान अपनी मेहनत से उपजाये गये उत्पादों को महाजनों के पास बेहद कम दामों में बेचने के लिए मजबूर हैं. बाल किशन पहाड़िया , नादगोड़ा गांव के निवासी, सड़क की अनुपस्थिति को घातक मानते हैं. वे कहते हैं कि गंभीर बीमारियों के मामलों में मरीजों को खाट पर उठाकर नीचे लाना पड़ता है, जिससे कई बार समय पर इलाज न मिलने के कारण मरीजों की जान चली जाती है.

ग्राम प्रधान डोहरा पहाड़िया का कहना है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों बाद भी उनका इलाका विकास से कोसों दूर है. उन्होंने बताया कि सड़क की कमी उनके लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है. प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए कई दिनों की योजना बनानी पड़ती है. उन्होंने सड़क निर्माण की कई बार मांग की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ.

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