पथरगामा प्रखंड के बरमसिया गिरजाघर में बुधवार को क्रिसमस मनाया जाएगा. इसको लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. प्रभु यीशु के जन्म दिवस को लेकर चर्च का रंग-रोगन के साथ झालर बत्ती से सजाया गया है. चर्च के प्रार्थना सभा हॉल को भी गुब्बारा, बैलून, झालर आदि से सुसज्जित किया गया है. इसके साथ ही चर्च परिसर में प्रभु यीशु के जन्म स्थल के रूप में चरनी का निर्माण भी किया गया है, जिसे फूल-पौधों से सजाकर आकर्षक रूप दिया गया है. इस संबंध में फादर माइकल ने जानकारी देते हुए बताया कि फादर जोसेफ मुर्मू द्वारा बाइबल पाठ सुनाया जाएगा. फादर माइकल ने बताया कि 24 दिसंबर की रात्रि 11:00 बजे से गिरजाघर में प्रार्थना सभा का आयोजन होगा. वहीं रात्रि 12:00 बजे प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. बताया कि इस क्रम में फादर द्वारा यीशु का संदेश सुनाने के साथ-साथ बाइबल पाठ किया जाएगा. जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर प्रार्थना सभा व भजन का भी आयोजन होगा. वहीं 25 दिसंबर को दिन के 9:30 बजे गिरजाघर में प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें मिशन संस्थान के छात्र-छात्राओं के साथ साथ आसपास के इलाकों से ईसाई धर्मावलंबी भाग लेंगे. इस दौरान पादरी द्वारा बाइबिल का पाठ किये जाने के पश्चात प्रभु यीशु के प्रेम, शांति का संदेश सुनाया जाएगा.
क्रिसमस गिफ्ट से सजा बाजार, त्योहार का जश्न शुरू
पोड़ैयाहाट प्रखंड क्षेत्र में क्रिसमस को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है. पोड़ैयाहाट मुख्य बाजार के चर्च में क्रिसमस डे 25 दिसंबर को क्रिसमस गैदरिंग के अवसर पर लगभग 2000 की संख्या में लोग पहुंचते हैं. क्रिसमस को लेकर आठ दिन पूर्व से ही ईसाई धर्मावलंबी के लोग तैयारी शुरू कर देते हैं. इस संबंध में फादर राजू बताते हैं कि क्रिसमस डे के तौर पर मनाते हैं. 24 दिसंबर की शाम से इस त्योहार का जश्न शुरू हो जाता है. इस बार क्रिसमस डे का सेलिब्रेशन कुछ अलग होगा. कोरोना महामारी की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी जरूरी हो जाता है. ऐसे में क्रिसमस फेस्टिवल का रंग कुछ अलग देखने को मिलेगा. लेकिन दोस्तों और परिवार के साथ क्रिसमस का त्योहार खुशियों भरा ही रहेगा. खासतौर पर बच्चों के मन में क्रिसमस के त्योहार के लिए उमंग होती है. सिस्टर गुलाब एवं सिस्टर डानिया बताते हैं कि क्रिसमस जीसस क्रिस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है. क्रिसमस का नाम भी क्रिस्ट से पड़ा.बच्चों के लिए खास होता है क्रिसमस
क्रिसमस को परंपरा खास बनाती है. इसमें एक संता निकोलस हैं, जिनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशू को समर्पित कर दिया. उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था. यही वजह है कि वे यीशू के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे. दरअसल संत निकोलस को सांता क्लॉज माना जाता है, क्योंकि वे रात के वक्त उपहार बांटते थे. उन्होंने पूरे जीवन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद की थी. विश्वभर के अलग-अलग देशों में अपने-अपने तरीके से लोग क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं.
अद्भुत तरीके से बनाया गया है चरणी : फादर जेरी
ललमटिया चर्च, मंगरा मिशन चर्च को ईसाई धर्मलंबियों द्वारा खूबसूरत ढंग से सजाया गया है. आकर्षक ढंग से चरणी को भी सजाने का कार्य किया जा रहा है. फादर जेरी एवं फादर सेमबन ने बताया कि 24 दिसंबर के 12:00 बजे रात को भगवान यीशु का जन्म होगा तथा 24 दिसंबर की शाम 8:00 बजे से रात 12:00 बजे तक चर्च में प्रार्थना सभा की जाएगी. 25 दिसंबर की सुबह 9:00 से 12:00 तक प्रार्थना सभा के साथ-साथ आदिवासी नृत्य का भी आयोजन होगा. भगवान यीशु ने हमेशा गरीबों की मदद की एवं बेसहारा का सहयोग किया था. मनुष्य को भी उनके बताये मार्ग पर चलना चाहिए. ठाकुरगंगटी प्रतिनिधि के अनुसार, क्रिसमस की तैयारी को लेकर फुलबडिया पंचायत के अंतर्गत स्थित कुश्मा मिशन का चर्च सज गया है. इधर चर्च के फादर सिलजो थॉमस ने बताया की 25 दिसंबर क्रिसमस की तैयारी को लेकर विशेष रूप से व्यापक प्रबंध किये जा रहे हैं. इसकी तैयारी में एक-एक कर्मी कार्यों में लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस वर्ष व्यापक तैयारी की जा रही है, जिसको लेकर पूरे परिसर की साफ-सफाई की गयी है. प्रभु यीशु के आगमन को लेकर चरनी को आकर्षक तरीके से बनाया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है