मदरसा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय की जीत : इकरारुल
कामिल फाजिल डिग्री की मान्यता यूजीसी के दायरे में
झारखंड राज्य अल्पसंखयक आयोग के सदस्य इकरारुल हसन आलम ने मदरसा पर दिये गये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. इसे इंसाफ़ की जीत बताया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है. देश में सभी को समान रूप से जीने का समान अधिकार दिया गया है. उनकी रक्षा हुई है. इकरारूल हसन ने कहा कि मदरसों के शिक्षा प्रणाली को लेकर जो भ्रांति फैलायी गयी थी, इस फैसले से विराम लग गया है. अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य इकरारुल हसन ने कहा कि संविधान की अनुच्छेद 26 और 30 हमें अपने मदरसे विद्यालय विश्वविद्यालय जैसे संस्थान बनाने चलाने की अनुमति देता है, जो संविधान में स्पष्ट है. हसन आलम कहा कि कोर्ट ने निर्णय में मदरसा एक्ट के प्रावधान कामिल और फाजिल जैसी उच्च डिग्रियों को असंवैधानिक बताया है. क्योंकि, वह यूजीसी अधिनियम के साथ टकराती है. इसलिए उच्च शिक्षा देने वाले संस्थानों को अपने पाठ्यक्रमों को लेकर यूजीसी के समक्ष रखने की जरूरत है, ताकि इन डिग्रियों को भी मान्यता प्राप्त हो सके. हाजी हसन आलम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में कहा है कि मदरसा एक्ट से संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता है.
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