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नाकाम साबित हो रहा सुंदरमोड़ का लिफ्ट एरिगेशन, पटवन कार्य प्रभावित

प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई का हाल बुरा, सप्लाई पाइप में लीकेज व मिट्टी भर जाने की वजह से नहीं हो रही सिंचाई

सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए केंद्र की सरकार हो या फिर राज्य की सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है. वहीं गोड्डा जिले को झारखंड राज्य का कृषि मंत्री भी नसीब हो चुका है. इसके बावजूद प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई का हाल बुरा है. मालूम हो कि पथरगामा प्रखंड अंतर्गत माछीटांड़ पंचायत के सुंदरमोड़ गांव में विगत 35 वर्ष पूर्व सिंचाई सुविधा के लिए लगाया गया लिफ्ट एरिगेशन सिस्टम उपेक्षा की वजह से नाकाम साबित हो रहा है. किसानों के मुताबिक तकरीबन आठ वर्षों से भी अधिक समय से लिफ्ट एरिगेशन बंद पड़ा हुआ है. बता दें कि सुंदरमोड़ मौजा के खेतों में पटवन के लिए गांव से सटे सुंदर नदी के तट पर जल संसाधन, लघु सिंचाई विभाग (गोड्डा) द्वारा लिफ्ट एरिगेशन हाउस का निर्माण किया गया था, जो किसानों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो रहा है. किसान कलीम अंसारी, अरविंद मांझी, वीरेंद्र चौबे, हरिनारायण कुमर, जयनारायण यादव, चंदन ठाकुर, इरफान अंसारी, कांति कुमर, नागेश्वर कुमर समेत अन्य ने बताया कि लिफ्ट एरिगेशन की पाइप में कई जगहों पर लीकेज होने व जगह-जगह सप्लाई पाइप में मिट्टी भर जाने की वजह से लिफ्ट एरिगेशन बंद है. लिहाजा किसानों के खेतों का पटवन बाधित है. बताते चलें कि इस योजना के तहत किसानों को सुंदर नदी के पानी से पटवन की सुविधा मिलती थी. किसानों ने बताया कि लिफ्ट एरिगेशन की सुविधा बहाल रहने पर तकरीबन 250 बीघे से भी अधिक खेतिहर भूमि में पटवन कार्य होता था. लेकिन बीते आठ वर्षों से किसानों को सिंचाई योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल रहा है. किसानों ने बताया कि 21 मार्च 2016 को झारखंड सरकार के जल संसाधन, लघु सिंचाई विभाग के तहत सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना से निर्मित सुंदरमोड़ में उद्धव सिंचाई योजना का जीर्णोद्धार कार्य का उदघाटन गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के करकमलों द्वारा किया गया गया था. किसानों ने बताया कि उदघाटन के बाद विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में लिफ्ट एरिगेशन को चालू कर पानी सप्लाई का टेस्टिंग तो कर दिया गया, लेकिन कुछ दिनों के बाद से ही पाइप में लीकेज रहने के कारण लिफ्ट एरिगेशन पुनः बंद हो गया. तब से लेकर आज तक लिफ्ट एरिगेशन बंद पड़ा हुआ है. बताया जाता है कि खेतों के पास जहां-जहां पानी का पाइप बिछाया गया था, सभी पाइप के अंदर मिट्टी का ढेर व ईंट पत्थर के टुकड़े जमा हो जाने से पूरी तरह जाम हो चुका है. किसानों ने बताया कि लिफ्ट एरिगेशन हाउस का जब निर्माण हुआ था, उस समय संचालन के लिए ऑपरेटर को भी बहाल किया गया था. लेकिन पिछले 20 वर्षों से लिफ्ट एरिगेशन में कोई ऑपरेटर नहीं है. बताया कि जिस वक्त लिफ्ट एरिगेशन हाउस का निर्माण किया गया था, उस समय लिफ्ट एरिगेशन हाउस के पास ऑपरेटर के रहने के लिए आवास भी बना था. वर्तमान समय में ऑपरेटर आवास भी ढह चुका है. आवास के खिड़की-दरवाजे गायब नजर आते हैं. भवन की छत, दीवार का अधिकांश हिस्सा टूट-टूट कर जमीन पर गिर चुका है. एक अनुमान के तौर पर सुंदरमोड़ में जिस प्रकार का लिफ्ट एरिगेशन हाउस बनाया गया है. वर्तमान समय में नया लिफ्ट एरिगेशन हाउस बनाया जाये, तो लगभग डेढ़ करोड़ से भी अधिक राशि खर्च हो सकती है. बहरहाल लिफ्ट एरिगेशन खराब होने से किसान खर्चे की बोझ झेलते हुए आधा किलोमीटर दूर से पाइप बिछाकर अपने कृषि योग्य भूमि पर खेती का कार्य करने को मजबूर नजर आते हैं. किसानों ने जनप्रतिनिधि, संबंधित विभाग समेत जिला प्रशासन से यथाशीघ्र लिफ्ट एरिगेशन के लीकेज व पाइप जाम की समस्या का निदान कराते हुए सिंचाई की सुविधा बहाल कराये जाने की मांग की है, ताकि सही मायने में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सके. लिफ्ट एरिगेशन हाउस की देखरेख के लिए सरकार को विभागीय स्तर पर कमेटी बनाना चाहिए, जो लिफ्ट एरिगेशन हाउस की निगरानी समय-समय पर करता रहे. इससे लिफ्ट एरिगेशन का मेंटेनेंस तो होगा ही किसान भी लाभान्वित होंगे. -निरंजन प्रसाद यादव, समाजसेवी 2016 में लिफ्ट एरिगेशन का जीर्णोद्धार तो कराया गया, लेकिन इसका कोई फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जीर्णोद्धार के नाम पर महज खानापूर्ति की गयी है. किसान आज भी सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके साथ ही सुंदर नदी से खेतों तक बिछाये गये पानी सप्लाई के पाइप में जगह-जगह लीकेज होने व मिट्टी भर जाने के कारण लिफ्ट एरिगेशन नाकाम हो गया है. जनप्रतिनिधि व प्रशासन को इस दिशा में संजीदगी दिखाना चाहिए. -सुरेंद्र चौबे, किसान. लिफ्ट एरिगेशन हाउस के संचालन के लिए पूर्व की तरह ऑपरेटर बहाल किया जाना चाहिए. इससे समुचित तरीके से संचालन होने के साथ-साथ लिफ्ट एरिगेशन हाउस का रखरखाव भी बेहतर बना रहेगा. लिफ्ट एरिगेशन हाउस के पानी के हौद की साफ-सफाई भी कराये जाने की भी जरूरत है. -राजेश सोरेन, किसान

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