सरकारी पैसे का सदुपयोग तभी संभव है, जब किसी योजना का लाभ जनता को सीधे तौर पर मिल सके. सरकार की भी उपलब्धि केवल इसी बात पर जाती है, जब आम जनता को इसका लाभ मिले. मगर सरकारी राशि का उपयोग केवल योजनाओं को ठेका टेंडर के लिए ही उपयोग में लाया जाये व उपयोगिता शून्य रहे तो ऐसी योजनाएं केवल सरकारी राशि के दुरुपयोग से जुड़ा होता है. पोड़ैयाहाट के सुदूर पूर्वी क्षेत्र के धेनुकट्टा पंचायत के घाघरा बांध में छह वर्ष पहले डाक बंगला का निर्माण किया गया था. भवन बनकर तैयार हो गया, मगर अब तक इसका किसी भी प्रकार के उपयोग में नहीं लाये जाने की वजह से भूत बंगला में तब्दील हो गया है. भूत बंगला में तब्दील डाक बंगला को देखने में रूचि ना तो जनप्रतिनिधि व ना ही प्रशासन के लोग ले रहे हैं. इस वजह से आज पूरा डाक बंगला निर्माण के साथ ही खंडहर में तब्दील होने लगा है. घाघरा बांध में जिला परिषद की राशि का उपयोग कर डाक बंगला का निर्माण इस वजह से किया गया था कि सुदूर क्षेत्र में जिप सदस्य व विभाग के पदाधिकारी, कर्मचारी इसका उपयोग कर सकें. समय-समय पर यहां बैठक आदि भी संभव हो पाये. मगर वर्ष 2017 में भवन का निर्माण 24 लाख की लागत से किया गया. उस वक्त जिप सदस्य के रूप में सिमोन मरांडी क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. भवन बनने तक तो कुछ संवेदक व पदाधिकारियों का आना-जाना रहा, मगर जब भवन पूरी तरह से तैयार हो गया तो उसके बाद आज तक ना तो कोई जिन सदस्य या फिर जिला परिषद के पदाधिकारी कभी भवन को झांकने पहुंचे. भवन के बनाये गये खिड़की व दरवाजे से लेकर शौचालय तक टूट-फूट रहा है. बदहाल हालत में पूरा भवन इस बात का सबसे बड़े उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि जिस भवन में इतनी बड़ी राशि खर्च कर दी गयी, आज ऐसे भवन की उपयोगिता पर सवाल खड़ा हो गया है. भवन की व्यवस्था भी खराब है. कचरे का अंबार फैले इस भवन में कभी साफ-सफाई तक भी नहीं की गयी है.
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