नगर परिषद की ओर से बनाया जाना था मल्टीप्लेक्स बिल्डिंग, पांच साल के बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ा मामला
गांधी मैदान के समीप करीब तीन एकड़ जमीन पर रहे सरकारी बस स्टैंड है नगर परिषद के अधीन
गोड्डा के गांधी मैदान के समीप करीब तीन एकड़ से अधिक जमीन पर आज नगर परिषद का कब्जा है. इस भूभाग पर पांच वर्ष पहले शहर के लोगों के लिए एक खूबसूरत मल्टीप्लेक्स भवन के निर्माण की रूप रेखा तैयार की गयी थी. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने इस जमीन पर हजार सीट वाले बड़े मल्टीप्लेक्स भवन व हॉल बनाये जाने की बात कही थी. नगर परिषद ने इसे नजरअंदाज करते हुए अब तक केवल कुछ प्राइवेट वाहनों को लगाने का अनुमति दे रखी है. यह स्थान बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का था. उक्त मैदान में वर्ष 2011 तक चहारदीवारी के साथ बड़ी-बड़ी झाड़ियां व दर्जनों सरकारी स्टेट बस का लोहा आदि डीपो के बने भवन भी था. इतना ही नहीं, डीपो के पास पूर्व दिशा में एक यार्ड भी बना था, जहां गाड़ियों के रिपेयरिंग का काम किया जाता था. वर्ष 2014 में सरकारी बस स्टैंड को धीरे-धीरे नगर पंचायत में ले लिया गया. इसे नगर परिषद द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया. धीरे-धीरे लाखों का स्क्रेप मेटेरियल आंखों के सामने से गायब हो गया, जिसे शहर के चोर-उच्चके व नशेड़ियों द्वारा पुरानी साफ कर दिया गया. एक-एक कर पुराने टायर, लोहा व अन्य सामग्री से विहीन होने के बाद इसकी सफाई की गयी. बस स्टैंड में बने टिकट काउंटर व भवन को बुलडोजर से तोड़कर मैदान में तब्दील कर दिया. वर्ष 2016 तक यह स्थान पूरी तरह से साफ हो गया. इस तरह से यह सरकारी बस स्टैंड अब नगर परिषद के पास एक बड़ा ऐसेट्स के रूप में आ गया.
जमीन समतलीकरण के बाद बेहतर व खूबसूरत बनाने की कवायद
गाेड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने उक्त समतल मैदान में करीब हजार सीट वाले मल्टीप्लेक्स भवन व हॉल बनाने की बात कहते हुए वर्ष 2019 में शहर के लोगों के समक्ष अपनी बातों को रखा था. डॉ दुबे ने कहा था कि नगर परिषद इसे बेहतर तरीके से शहर के लिए विकसित करें. इधर पांच साल बीत जाने जाने के बावजूद अब तक ना तो उक्त जमीन पर किसी तरह की गतिविधि शुरू की गयी है और ना ही भवन आदि को लेकर कवायद की गयी है. डॉ दुबे की ओर से विभाग को दिये गये निर्देश पर अब तक कुछ भी पहल नहीं हो सकी है. हालांकि विभाग द्वारा साफ-सफाई कराये गये उक्त मैदान में दिनभर प्राइवेट गाड़ियां लगी रहती है.‘मल्टीप्लेक्स के लिए जुडको ने डीपीआर बनाया है. इसमें कुछ तब्दीली की जानी है. जुडको ने इसके लिये परामर्शदाता भी नियुक्त किया है्. टेक्निकल स्वीकृति के बाद काम आगे बढ़ेगा. संभावित करीब तीन से चार करोड़ के निविदा की संभावना.है. मामले में डीसी की ओर से भी बेहतर पहल की जा रही है.– आशीष कुमार, नगर प्रशासक, गोड्डाB
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