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डायरिया से मौत के बाद सर्तक हुआ स्वास्थ्य विभाग, गांव में टीम कर रही कैंप

महागामा प्रखंड क्षेत्र में डायरिया से प्रभावित गांवों का स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया निरीक्षण

महागामा प्रखंड क्षेत्र में डायरिया से प्रभावित गांवों का स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा शुक्रवार को निरीक्षण किया गया. टीम में गोड्डा आFडीएसपी पदाधिकारी संतोष कुमार, महागामा चिकित्सक अनुज कुमार और लैब टेक्नीशियन अब्दुल मन्नान आदि शामिल थे. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डायरिया प्रभावित गांव कोलझारा, भोजूचक और बलिया का जायजा लिया. मालूम हो कि पिछले दिनों कोलझारा गांव में डायरिया की चपेट में आने से 18 वर्षीय नसीबा खातून की जान चली गयी थी और कई लोग आक्रांत हो गये थे. इसके बाद विभाग की निंद्रा टूटी और गांव में ही कैंप लगाया गया. शुक्रवार को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पीड़ित परिवार से मिलकर अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी ली. इस दौरान ग्रामीणों को डायरिया से सुरक्षा व बचाव की जानकारी दी गयी. साथ ही लोगों को जरूरी सुझाव भी दिये. इस दौरान टीम द्वारा ग्रामीणों के बीच दवा का वितरण किया गया. साथ ही ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव कराया गया. चिकित्सक अनुज कुमार ने बताया कि तीन गांवों का डोर टू डोर निरीक्षण किया गया. लेकिन एक भी नया मामला नहीं मिला. हालांकि स्थानीय एएनएम और सहिया को गांव में नजर रखने का निर्देश दिया गया है.

पहले से स्वास्थ्य विभाग की नहीं रहती है तैयारी, खुली पोल :

सवाल यह है कि विभाग डायरिया जैसे बीमारियों को लेकर पहले से तैयार नहीं रहता है. गांव-गांव स्तर पर सहिया आदि है. इनको डायरिया फैलने के पूर्व ब्लीचिंग आदि छिड़काव कराये जाने की जानकारी क्यों नही दी जाती है. जब डायरिया विकराल रूप धारण कर लेता है, तभी टीम तरह-तरह के ज्ञान प्रभावित गांवों में परोसती हैं. कम से कम पहले जागरूक करने से कम से कम केजुअलिटी आदि से बचा सकेगा. डायरिया से जिले के मेहरमा, पोड़ैयाहाट के देवंधा व सोंन्डिहा आदि गांवों में चार मौत की घटना प्रकाश में आयी है, जो रिकॉर्डेड है. डायरिया से इतनी मौतें बीते एक से डेढ़ माह के अंदर हो गयी है. कुल मिलाकर डायरिया से जिलेभर में अब तक आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई तो इलाज के अभाव में मर गये, जिसका रिकॉर्ड में नाम नहीं है. ऐसे में विभाग की पोल खुल रही है. डायरिया जैसे रोगों से भी यदि जिले में मौत हो रही है, तो विभाग के लिए यह सोचनीय विषय है. केवल बैनर व पोस्टर से ही जागरूकता फैलना संभव नहीं है. पोस्टर व बैनर विभाग के लिए केवल कमीशनखोरी का कारोबार है. धरातल पर विभाग को पहल करने की आवश्यकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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