तीन वर्ष पूर्व बनकर तैयार पोड़ैयाहाट पुस्तकालय में आज तक एक भी किताबें नहीं
जिला परिषद द्वारा सात लाख रुपये की राशि से बनाया गया था पुस्तकालय, नहीं हो सका उपयोग
शिक्षा के क्षेत्र में पोड़ैयाहाट को काफी बेहतर माना जाता है. पहले से ही पोड़ैयाहाट शिक्षा के हब के रूप में चर्चित है. यहां सरकारी व गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों के अलावा कई अच्छे मिशनरीज स्कूल भी हैं, जिसकी वजह से ना केवल प्रखंड बल्कि दूरदराज व जिले से बाहर के भी विद्यार्थी यहां पढ़ाई करने आते हैं. मगर इस क्षेत्र में लोगों के अलावा पढ़ाई के साथ विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को देखते हुए बेहतर पुस्तकालय की व्यवस्था नहीं की गयी है. इसकी पहल भी हुई, मगर अब तक सरजमीं पर उतर नहीं पायी है. पुस्तकालय के नाम पर भवन का निर्माण भी हुआ. तीन साल बीत भी गये, मगर अब तक एक भी पुस्तक की व्यवस्था नहीं होने से स्थानीय लोगों में काफी रोष है.
प्रखंड परिसर में ही बना है पुस्तकालय भवन
प्रखंड परिसर में ही जिला परिषद के फंड से वर्ष 2021-22 में सात लाख रुपये की लागत से पुस्तकालय का निर्माण किया गया है. पुस्तकालय तो बनकर तैयार हो गया, मगर यहां ज्ञान वृद्धि को लेकर अब तक एक भी पुस्तक की व्यवस्था नहीं की गयी है. लोगों को सस्ते शुल्क में पुस्तकालय से पढ़ने के लिए पुस्तक उपलब्ध हो सकती थी. इस मामले में अब तक कई बातें रोड़ा बनकर लोगों के बीच है. ग्रामीणों में इस बात का काफी रोष भी है. ग्रामीणों की मानें तो प्रशासन द्वारा पुस्तकालय में पुस्तक उपलब्ध हो जाने पर समय निकालकर लोग देश-विदेश सहित झारखंड के संस्कृति के बारे में भी ज्ञानोपार्जन कर सकते थे. ऐसे में लोगों के लिए भी पुस्तकालय काफी उपयोगी साबित होता. लोगों का कहना है कि जिस तरह से भवन का निर्माण किया गया, उसी प्रकार अगर पुस्तकालय में किताबें व्यवस्थित होती तो शायद इसकी उपयोगिता सिद्ध होती. अगर ऐसी ही स्थिति रही, तो अन्य भवन की तरह बगैर किसी उपयोग के बर्बाद हो जायेगा. स्थानीय लोगों में इस बात की भी रोष है कि जिले में डीएफएफटी की राशि का उपयोग अन्य कार्य में किया जा रहा है. चेतना की जागृति के लिए पुस्तकालय में राशि नहीं दी गयी है.
‘निश्चित रूप से पुस्तकालय अगर बना है, तो उसमें पुस्तक की व्यवस्था सरकार की ओर से की जानी चाहिए, ताकि बच्चों को खाली समय में शिक्षा का माहौल एवं ज्ञान की प्राप्ति हो सके. क्षेत्र के बच्चों को विशेष शिक्षा भी मिल पाती.-अनुपम प्रकाश, समाजसेवी
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से ही पुस्तकालय भी एक माध्यम है. सिर्फ भवन बना देने से ज्ञान का उपार्जन नहीं हो सकता है. जिला प्रशासन को पुस्तक को लेकर आवश्यक ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बच्चों को सुविधा होती.– निर्मल मंडल, प्रोफेसर एसएम कॉलेज
गरीब छात्र-छात्राओं को भी पुस्तकालय में पुस्तक रहने से काफी लाभ मिलेगा. लोग झारखंड के अलावा विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति के बारे में पुस्तकों से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे. इस वजह से पुस्तकालय आरंभ करने की जरूरत है.-राजकुमार, छात्र बीएससी
पुस्तकालय में छात्राओं को भी पुस्तकालय में पढने का मौका मिल पाता. पुस्तक की उपलब्धता से ही लोगों में जागृति भी आती. पुस्तकालय का भवन बनने के बाद भी पुस्तकालय में पुस्तक उपलब्ध नहीं होना दुर्भाग्य की बात है.-वंदना कुमारी, छात्र एसएम कॉलेज
तीन वर्ष पूर्व भवन बनकर तैयार हुआ था. अब तक चालू नहीं किया जाना दुखद है. जिला प्रशासन की ओर से किताबें की व्यवस्था नहीं की जाती है, तो वे पंचायत फंड की व्यवस्था करेंगे. घरों में अगर किताब है, तो पुस्तकालय में जमा करें, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके.-अनुपम भगत, मुखिया पोड़ैयाहाटB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है