कड़ाके की ठंड से जनजीवन अस्त-व्यस्त, दिनभर नहीं निकली धूप
अधिकतम व न्यूनतम तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस तक होगी गिरावट
गोड्डा जिले में घना कुहासा व ठंड से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. हालांकि इस कड़ाके की ठंड में 15 जनवरी से बदलने की संभावना जतायी गयी है. मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार से अधिकतम व न्यूनतम तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट होने की संभावना जतायी गयी है. सोमवार को जिले का अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. पूरे दिन बादलों के बीच सूर्य के लुकाछिपी की वजह से धूप नहीं निकली, जिसके कारण पूरे दिन ठंड का असर बना रहा. ठंड का सबसे ज्यादा असर बच्चों व वृद्धों पर पड़ रहा है. बच्चे व वृद्ध अधिक संख्या में बीमार पड़ रहे हैं. इसके साथ ही शुगर, बीपी मरीज भी ठंड में अधिक परेशान हो रहे हैं. बीपी के मरीज की शिकायत है कि उनका बीपी बढ़ रहा है. यही हालत कमोवेश शुगर मरीज के सामने भी उत्पन्न हो रही है. ऐसे मरीजों को चिकित्सक दवा के साथ ठंड से बचने की सलाह दे रहे हैं.
स्कूल जाने वाले बच्चों की बढ़ी परेशानी, टाइमिंग में बदलाव की मांग
स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल पहुंचने में सुबह में परेशानी उठानी पड़ रही है. इतनी ठंड के बावजूद अभी भी कई निजी स्कूलों का संचालन सुबह आठ बजे से ही हो रहा है. कई अभिभावकों ने स्कूल के टाइमिंग में बदलाव की मांग की है. मजदूर व किसानों की परेशानी ठंड ने बढ़ा दी है. ठंड की वजह से मजदूरों को काम करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे मौसम में मजदूरों को पानी के संपर्क में पूरे दिन रहने की वजह से बीमार पड़ रहे हैं. यही हाल किसानों का भी है. किसान खेत में काम करने में ठंड के बीच अक्षम साबित हो रहे हैं. बुधवार से तापमान में और अधिक गिरावट आयेगी. जिले में मंगलवार से कड़ाके की ठंड से लोगों को दो-चार होना होगा. मौसम विभाग के अनुसार अधिकतम तापमान व न्यूनतम तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस तक गिरावट आयेगी. ऐसे में जब अभी लोगों ठंड से इतनी परेशानी हो रही है, तो और अधिक ठंड पड़ने पर क्या स्थिति होगी. मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार से तीन-चार दिनों तक काड़ाके की ठंड पड़ेगी. गरीबों के बीच कंबल का वितरण नहीं हो सका. गोड्डा जिला प्रशासन की ओर से अब तक महागामा प्रखंड के गरीबों के बीच कंबल का वितरण शुरू नहीं किया जा सका है. ऐसे में फुटपाथ पर रहने वाले लोगों की दिन तो किसी तरह कट जा रही है. लेकिन रात काटना मुश्किल साबित हो रहा है. अलाव की व्यवस्था भी ग्रामीण क्षेत्र में अब तक नहीं हो सकी है. बताया जाता है कि जिला से फंड उपलब्ध नहंी होने के कारण अलाव नहीं जल रहा है. हालांकि शहरी क्षेत्र में नगर निगम प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवसथा किये जाने से बहुत हद तक लोगों को राहत मिली है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है