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छाता मेला में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक, भोलेनाथ की हुई पूजा-अर्चना

मेले में आदिवासी आर्केस्ट्रा एवं लांगड़े नाच का आयोजन

राजमहल कोल परियोजना के पुनर्वास स्थल बड़ा भोराय गांव में आदिवासी रीति-रिवाज से छाता मेला का आयोजन किया गया. मेले में दर्जनों गांव के महिला-पुरुष आदिवासी वेशभूषा पहन कर पहुंचे व मेले का आनंद लिया. छाता मेला के दौरान पुजारी के द्वारा विधि-विधान से भोलेनाथ मंदिर के पास पूजा-अर्चना कर मोटा लकड़ी के माध्यम से घुमाया गया. इस दौरान मेले में आदिवासी आर्केस्ट्रा एवं लांगड़े नाच का आयोजन किया गया. लांगड़े नाच में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बोरियो बथानी को 15 हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया. द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले धनकुंडा को 13 हजार रुपया देकर सम्मानित किया गया. तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले राजबांध को 10 हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया. मेले में आदिवासी परिधान में पहुंचने वाली तीन लड़की को भी सम्मानित किया गया. प्रथम स्थान संगीता हांसदा को तीन हजार द्वितीय स्थान हांजी किस्कू को दो हजार एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सुनीता मरांडी को 1500 रुपये देकर सम्मानित किया गया. मेले में आदिवासी आर्केस्ट्रा एवं आदिवासी नृत्य से मेला में आने वाले दर्शकों का मन मोह लिया. अतिथि मुखिया प्रतिनिधि सह समिति के अध्यक्ष संझला हांसदा एवं मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद हेंब्रम एवं अरुण हेंब्रम ने संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समुदाय को अपनी पहचान व संस्कृति को नहीं भूलनी चाहिए. अपनी संस्कृति ही लोगों को महान बनाती है. अतिथि द्वारा लांगड़े नाच एवं आदिवासी परिधान में पहुंची हुई लड़की को सम्मानित किया गया. मौके पर बाबूलाल हेंब्रम, संतोष किस्कू, जीतराम मुर्मू, मुनीलाल मुर्मू आदि उपस्थित थे.

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