ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र के मिश्र गंगटी पंचायत के मंझकोला गांव में इन दिनों पेयजल की संकट होने लगी है. यह गांव आदिवासी बहुल गांव है, जो ठाकुरगंगटी मुख्य मार्ग के बगल में स्थित है. इस गांव में लगा जलमीनार विगत छह माह से खराब पड़ा हुआ है, जिसका ग्रामीणों के बीच कोई उपयोग नहीं हो रहा है. सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर गांव में खड़ी है. गांव के लोग चापाकल पर निर्भर हैं. दो चापाकल रहने के कारण लोगों की भीड़ सुबह से लेकर शाम तक लगी रहती है. घर के लोग घरेलू कामकाज के साथ-साथ इसी से अन्य उपयोग में पानी को लाने का काम किया करते हैं. बताया जाता है कि 40 घरों की 300 आबादी इसी चापाकल से अपनी प्यास बुझाती है. ग्रामीण गणेश माल, बाबूराम मुर्मू, रविंदर मुर्मू, रमेश मुर्मू, हेमलाल मुर्मू, जितेंद्र मुर्मू ने बताया कि गांव में पानी की किल्लत काफी हो गयी है. चापाकल से पर्याप्त मात्र में पानी नहीं मिल पाती है. काफी चलाने पर भी पानी बहुत कम निकलता है, जिस पर गांव के लोग आश्रित हैं.
लंबे समय से मरम्मत कराने की मांग कर रहे हैं ग्रामीण
बताया कि लंबे समय से ग्रामीणों की मांग जलमीनार पर टिकी हुई है. कई बार विभाग को सूचना देने के बाबजूद भी इसकी मरम्मती कराने की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है. दिनों प्रतिदिन गांव की आबादी बढ़ती जा रही है. लोग पेयजल पर ही प्रायः आश्रित रहते है पर ग्रामीणों की मांग सिर्फ मांग बनकर रह गई. इसकी सुधि ना तो पंचायत प्रतिनिधि ने ली ना ही संबंधित विभाग की ओर से लिया जा रहा है. ग्रामीणों ने बताया की अगर जलमीनार ठीक करवा दिया जाता तो शायद गांव की समस्या दूर हो जाती. खासकर तो पानी की सम्पूर्ण व्यवस्था घर की महिलाओं को करनी पड़ती है. जिन्हें सुबह से लेकर शाम तक घर के कामकाज को लेकर पानी का जुगाड करना पड़ता है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से उक्त गांव में लगे जलमीनार को ठीक कराने की मांग किया है ताकि गांव के लोगों को थोड़ी राहत मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है