जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक में राज्य सरकार ने जीएसटी कंपन्सेशन मद के बकाये की मांग की. इस मद का 2500 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने नहीं दिया है. राज्यों द्वारा जीएसटी कंपन्सेशन की मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार ने असमर्थतता जतायी. केंद्र की ओर से राज्यों को कहा गया कि कोविड-19 की वजह से केंद्र सरकार का राजस्व प्रभावित हुआ है.
फिलहाल, केंद्र सरकार जीएसटी कंपन्सेशन मद के बकाये का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. केंद्र सरकार ने 14 प्रतिशत के बदले 10-12 प्रतिशत देने की बात कही. केंद्र सरकार ने विकल्प के रूप में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से जरूरत के हिसाब से न्यूनतम सूद पर कर्ज लेने और इसकी भरपाई पांच साल में सेस की राशि से करने का सुझाव दिया.
केंद्र की ओर से कहा गया कि नुकसान की भरपाई के लिए लिये गये कर्ज के मुद्दे पर अगले साल समीक्षा होगी. केंद्र के इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने विचार करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. जीएसटी काउंसिल की बैठक में श्री उरांव ने झारखंड का पक्ष रखा और जीएसटी कंपन्सेशन नहीं मिलने से पैदा हुई परेशानियों का उल्लेख किया.
2017 में वैट के बदले जीएसटी लागू किया गया था. जीएसटी लागू करते वक्त केंद्र सरकार ने होनेवाले नुकसान की भरपाई करने का वादा किया था. नुकसान की भरपाई 2022 तक की जानी है. हर माह मिले टैक्स कलेक्शन में हिस्सा : डॉ रामेश्वर उरांव ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में झारखड की स्थिति अच्छी नहीं है. जीएसटी कौंसिल को बकाया भुगतान को लेकर अपनी वचनबद्धता निभानी चाहिए. झारखंड को भी कलेक्शन में हिस्सा प्रत्येक महीने मिलना चाहिए. वहीं केंद्रीय वित्तमंत्री की ओर से बताया गया कि भारत सरकार के राजस्व संग्रहण में कमी आयी है. ऐसे में वैकल्पिक उपाय बताये.
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