अव्यवस्था.: मासूम सुमन सिंह की मौत के बाद भी सुधर नहीं रहा अस्पताल प्रबंधन, मरीज इंतजार करते रहे, डॉक्टर थे गायब

गुमला: मासूम सुमन सिंह की मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं सुधरा है. अभी भी गुमला सदर अस्पताल में अव्यवस्था है. अस्पताल की अव्यवस्था का ऐसा ही नजारा सोमवार को भी देखने को मिला. दोपहर में मरीज डॉक्टरों के इंतजार में बैठे रहे, लेकिन डॉक्टर अस्पताल से गायब थे. मरीज परेशान थे. डॉक्टर के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2017 11:52 AM

गुमला: मासूम सुमन सिंह की मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं सुधरा है. अभी भी गुमला सदर अस्पताल में अव्यवस्था है. अस्पताल की अव्यवस्था का ऐसा ही नजारा सोमवार को भी देखने को मिला. दोपहर में मरीज डॉक्टरों के इंतजार में बैठे रहे, लेकिन डॉक्टर अस्पताल से गायब थे. मरीज परेशान थे. डॉक्टर के नहीं रहने से जब मामला बढ़ने लगा, तब महिला मरीजों की जांच आनन-फानन में शिशु रोग विशेषज्ञ से करायी गयी.

दुंदुरिया के बबलू कुमार अपनी वृद्ध मां सरस्वती देवी का इलाज कराने अस्पताल पहुंचा. सरस्वती के गले से भोजन व पानी नहीं उतर रहा है. वह परेशान है. बबलू ने डॉक्टर से जांच करने के लिए कहा, तो डॉक्टर ने जांच करने से मना कर दिया. आधा घंटे तक सरस्वती अस्पताल के बरामदे में स्थित कुर्सी पर सोयी रही. वह दर्द से भी परेशान थी. सरस्वती ने कहा : डॉक्टर ने इलाज व अस्पताल में भरती करने से इनकार कर दिया. जब सरस्वती कुर्सी पर सो रही थी, तभी बाल संरक्षण आयोग झारखंड के सदस्य भूपन साहू, सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह व सदस्य डॉ अशोक कुमार मिश्र पहुंचे. सरस्वती से पूछताछ कर इलाज नहीं होने का कारण पूछा. इसके बाद भूपन साहू ने सीएस डॉ जेपी सांगा को फोन कर अस्पताल बुलाया और सरस्वती का इलाज कराते हुए अस्पताल में भरती करने की व्यवस्था करायी. सिलम गांव की किरण मिंज सहित छह मरीज डॉक्टर के इंतजार में थे. सीएस के अस्पताल पहुंचने के बाद सभी मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गयी.

दर्द से कराहती महिला कुर्सी पर पड़ी रही

इनाम लिया, पर व्यवस्था नहीं

अस्पताल की लापरवाही से मासूम सुमन सिंह की मौत हो गयी. सरकार ने इसे गंभीरता से लिया. डीसी ने एसडीओ से सुमन की मौत की जांच करायी. इसके बावजूद अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं होना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है. इसी अस्पताल को पूरे राज्य में कायाकल्प के लिए 50 लाख रुपये का इनाम मिला] इसके बावजूद यहां स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट है.

डॉक्टरों में अनुशासन खत्म हो गयी : भूपन

बाल संरक्षण आयोग के सदस्य भूपन साहू ने कहा कि अस्पताल मरीजों का इलाज करने व उन्हें सुविधा देने के लिए है, लेकिन गुमला में सिर्फ दिखावा का अस्पताल रह गया है. यहां डॉक्टरों में इतना अनुशासन नहीं है कि मरीजों से कैसे बात करें. मैंने अस्पताल का निरीक्षण किया, तो देखा कि एक वृद्ध महिला को अस्पताल में भरती करने से डॉक्टर ने मना कर दिया. यह गंभीर बात है. अगर व्यवस्था में सुधार नहीं होता है, तो सरकार को पत्र लिखेंगे.

डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा है : सीएस

अस्पताल में डॉक्टर के नहीं रहने की सूचना पर सीएस डॉ जेपी सांगा पहुंचे. उन्होंने प्रशासिका सुभाषिणी चंद्रिका से बात की. इसके बाद सदस्य भूपन से जानकारी ली. मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएस ने डॉ एडीएन प्रसाद से स्पष्टीकरण मांगा है. सीएस ने कहा कि शिकायत के बाद अस्पताल में आकर जांच किया, तो डॉक्टर नहीं थे. सिर्फ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके भगत मरीजों की जांच कर रहे थे. गायब रहने वाले डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

पीड़ित परिवार से मिलेगा क्षत्रिय महासंघ

केदली पाकरटोली निवासी करण सिंह के आठ वर्षीय पुत्र सुमन सिंह की सदर अस्पताल में दवा के अभाव पर मृत्यु और पैसे के अभाव में वाहन सुविधा नहीं मिलने की घटना की अखिल भारतीय क्षत्रिय महासंघ ने निंदा की है. अध्यक्ष सूरजदेव सिंह ने कहा कि सदर अस्पताल की ऐसी व्यवस्था सरकार और जिला प्रशासन की लापरवाही का द्योतक है. महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल मृतक के घर जायेगा और उसके पिता से मुलाकात कर घटना क्रम से अवगत होगा. महासंघ की ओर से मुख्य संरक्षक लाल केशव नाथ शाहदेव, जिप उपाध्यक्ष केडी सिंह, संजय सिंह, शांतनु सिंह व रवींद्र सिंह मंगलवार को उनके घर जायेंगे और उन्हें आर्थिक सहयोग भी करेंगे. अध्यक्ष ने कहा कि सदर अस्पताल में चिकित्सा सुविधा का घोर अभाव है.

जिला प्रशासन कार्रवाई करे: आनंद

आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक आनंद पॉल तिर्की ने एंबुलेंस नहीं मिली, मृत बेटे को पीठ पर बांध पिता पहुंचा गांव की खबर प्रकाशित होने पर सदर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की निंदा की है. जिला प्रशासन से मांग की है कि वे निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे.

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