बड़े दुकानदारों के साथ तो इससे परेशानी नहीं है लेकिन छोटे दुकानदारों को जो कम पूंजी में अपना व्यवसाय कर रहे हैं उन्हें काफी परेशानी हो रही है. इधर लोगों में आम धारणा होते जा रही है कि दुकानों में सिक्का नहीं लिया जा रहा है. घरों में छोटी बचत करनेवाले लोग सिक्का जमा करने से हिचकिचा रहे हैं. आम तौर पर बाजारों में एक-दो रुपये का सिक्का ज्यादा मात्रा में कोई भी लेने से इंकार कर रहा है.
इसे लेकर प्रभात खबर कार्यालय में एक भिखारी अपने हाथों में कुछ सिक्के लेकर पहुंचा. उसने आते ही बताया कि दुकानों में सिक्का नहीं लिया जा रहा है. इस सिक्के का क्या करें. पूछे जाने पर उसने बताया कि बाजार में पांच और 10 रुपये का सिक्का तो लिया जा रहा है लेकिन एक-दो रुपये का सिक्का नहीं लिया जा रहा है. भिखारियों को अधिकांश लोग एक -दो रुपये का सिक्का ही देते हैं. इसी सिक्के को बाजार में चला कर हमलोग गुजारा करते हैं लेकिन अब तो बाजार में इसे लिया ही नहीं जा रहा है जिससे हमलोगों को जीविका चलाने में भी परेशानी हो रही है.