आर्म्स एक्ट के तहत तीन आरोपियों को पांच साल की सजा, बिशुनपुर अस्पताल में शिशु व महिला रोग विशेषज्ञ नहीं

बिशुनपुर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर में शिशु व महिला राेग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. इस कारण महिला मरीज एवं बच्चों का उचित उपचार नहीं होता है. लोगों को इलाज के लिए गुमला सदर अस्पताल या फिर निजी क्लिनिक जाना पड़ रहा है. सीएससी में आठ चिकित्सकों की जगह मात्र प्रभारी समेत तीन डॉक्टर पदस्थापित हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 12:38 PM
बिशुनपुर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर में शिशु व महिला राेग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. इस कारण महिला मरीज एवं बच्चों का उचित उपचार नहीं होता है. लोगों को इलाज के लिए गुमला सदर अस्पताल या फिर निजी क्लिनिक जाना पड़ रहा है. सीएससी में आठ चिकित्सकों की जगह मात्र प्रभारी समेत तीन डॉक्टर पदस्थापित हैं. वहीं 12 नर्सों की जगह मात्र पांच नर्स ही कार्यरत हैं.

हॉस्पिटल में एक्स-रे मशीन तो पांच साल पूर्व भेज दी गयी है, लेकिन एक्स-रे टेक्नीशियन की पोस्टिंग नहीं की गयी, जिससे मशीन बेकार हो गयी है. चिकित्सक एवं नर्सों की कमी के कारण ग्रामीणों को परेशानी हो रही है. चिकित्सा प्रभारी ओमप्रकाश पासवान ने कहा कि आठ डॉक्टर की जगह मात्र हम तीन डॉक्टर हैं. हमारे पास चार एंबुलेंस है, जिसमें एक खराब है, फिर भी पेसेंट को बेहतर सुविधा एवं चिकित्सा देने का काम कर रहे हैं.

रेफरल अस्पताल सिसई में एक डॉक्टर
सिसई. रेफरल अस्पताल सिसई में डॉक्टरों का स्वीकृत पद सात है, जिसमें कार्यरत एक चिकित्सा प्रभारी डॉ नमिता लकड़ा हैं. दो प्रतिनियोजित डॉ रामप्रसाद राम व डॉक्टर सालेन मिंज हैं. 25 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं. सभी केंद्र में दो एएनएम का पद है, परंतु एक-एक कार्यरत हैं. उप स्वास्थ्य केंद्र सोगड़ा, सुरसा व गढ़वाली में एएनएम पदस्थापित नहीं हैं. अस्पताल व आवासीय भवन जर्जर है. बारिश में छत से पानी टपकता रहता है. कमरे की कमी है. सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. बिजली व्यवस्था का अभाव है. पेयजल सुविधा नहीं है. ग्रामीण मवेशियों को अस्पताल परिसर में छोड़ देते हैं.
86 हजार में मात्र दो डॉक्टर
डुमरी. डुमरी व जारी प्रखंड की 86 हजार की आबादी की स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी सीएचसी डुमरी में पदस्थापित दो चिकित्सक डॉ रोशन खलखो व डॉ प्रियंका उरांव पर है. सीएचसी में 74 पद में 30 स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत हैं. 44 पद रिक्त है. वहीं 25 स्वास्थ्य कर्मी अनुबंध पर कार्यरत हैं. केंद्र में स्वीकृत पद चिकित्सक छह में दो हैं. प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक एक में शून्य, स्वच्छता निरीक्षक एक में एक हैं. प्रयोगशाला प्रावैधिकी एक में शून्य, निगरानी निरीक्षक दो में शून्य, निगरानी कार्यकर्ता आठ में शून्य, स्वास्थ्य प्रशिक्षक एक में एक, परिवार कल्याण कार्यकर्ता तीन में एक, बुनियादी कार्यकर्ता चार में एक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता तीन में दो, परिधापक एक में शून्य, लिपिक तीन में तीन, महिला स्वास्थ्य पर्दिशिका दो में एक, संगणक एक में एक, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी 10 में पांच, एएनएम 25 में 11, चालक एक में एक कार्यरत हैं. वहीं एएनएम 16, बहुउद्देशीय कार्यकर्ता छह, पारा मेडिकल कार्यकर्ता एक, जीएनएम एक, प्रयोगशाला प्रावैधिकी एक अनुबंध में कार्यरत हैं. स्वास्थ्य केंद्र भवन की स्थिति दयनीय व जर्जर है. प्रसव भवन छोटा है. ओपीडी में मरीज को देखने और बैठने के लिए जगह की कमी है. दवा भंडार रूम में चिकित्सा पदाधिकारी का कार्यालय है. कार्यालय में संबंधित काम करने में दिक्कत होती है. सड़क किनारे स्थित केंद्र में चहारदीवारी नहीं होने के कारण असुरक्षित है. आवासीय भवन जर्जर है.
भरनो के दो डॉक्टर प्रतिनियुक्ति में
भरनो. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुख्यालय से तीन किमी दूर है. 30 बेड का नया अस्पताल बनाया गया है. बिजली की व्यवस्था है, परंतु पानी की किल्लत है. अस्पताल परिसर में डीप बोरिंग हुई है, पर वह भी सक्सेस नहीं है. अस्पताल परिसर के आसपास एक भी चापानल या कुआं नहीं है. अस्पताल कर्मी दो किमी दूर से पानी लाकर काम चला रहे हैं. अस्पताल के वार्ड, डॉक्टर आवास व स्टाॅफ रूम के शौचालय व टॉयलेट तक में भी पानी नहीं पहुंचता है. अस्पताल में सात चिकित्सक हैं. दो चिकित्सक सिसई अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर हैं. कई बार जिला के पदाधिकारियों को पानी की समस्या से अवगत कराते हुए पत्राचार किया गया है, परंतु अबतक कोई पहल नहीं की गयी है.

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