लाचारी: मां की मौत, पिता की हत्या, अनाथ हुए पांच मासूम, प्रशासन से है सहयोग की उम्मीद
गुमला: 13 माह पहले बीमारी से मां की मौत हो गयी थी. मां की मौत का गम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि मामूली विवाद में पूर्व उग्रवादी ने पिता की भी गोली मार कर हत्या कर दी. मां व पिता की मौत के बाद पूरा परिवार टूट गया है. पहले से परिवार गरीबी […]
गुमला: 13 माह पहले बीमारी से मां की मौत हो गयी थी. मां की मौत का गम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि मामूली विवाद में पूर्व उग्रवादी ने पिता की भी गोली मार कर हत्या कर दी. मां व पिता की मौत के बाद पूरा परिवार टूट गया है. पहले से परिवार गरीबी में जी रहा है. गरीबी के कारण बच्चों ने स्कूल भी जाना छोड़ दिया है. खपरैल घर है. दादी को वृद्धावस्था पेंशन मिलती है.
इसी के सहारे परिवार को गुजर बसर चल रहा है. यह दुखभरी कहानी गुमला से 15 किमी दूर बांकीर लिटियाटोली गांव के पांच मासूम बच्चों की है. गांव के मनोहर तिर्की की छह अक्तूबर को हत्या हो गयी. मनोहर की हत्या के बाद उसके पांच बच्चे अनाथ हो गये. इनमें अमित तिर्की (14), आशीष तिर्की (12), देवा तिर्की (10), आलोक तिर्की (सात) व अंकित तिर्की (चार) शामिल हैं. ये बच्चे अभी दादी बंधनी देवी के साथ रहते हैं. मां-पिता की मौत व गरीबी के कारण इन बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है. बच्चों ने प्रशासन से आर्थिक सहयोग व पढ़ाई की गुहार लगायी है.
ऐसे हुई मां व पिता की मौत
13 माह पहले मगनी देवी बीमार पड़ गयी. घर में पैसे नहीं थे. इलाज की व्यवस्था नहीं हो सकी. इस कारण मगनी की मृत्यु हो गयी. मगनी की मृत्यु के बाद पिता मनोहर तिर्की किसी प्रकार अपने पांच बच्चों की परवरिश कर रहा था. इसी दौरान छह अक्तूबर को टैसेरा में करम पर्व के बासी के दिन नाच-गान के दौरान मामूली विवाद में पूर्व उग्रवादी ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी थी. मृतक मनोहर की मां बंधनी देवी ने कहा है कि उसके बेटे को उग्रवादी ने मारा है, इसलिए उसे मुआवजा मिले. मनोहर की हत्या के बाद प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का सहयोग नहीं किया गया है.
मैं बूढ़ी हो गयी हूं, इच्छा है मेरे नाती पढ़े लिखे
दादी बंधनी देवी ने कहा कि मैं तो बूढ़ी हो गयी हूं. बेटा व बहू के नहीं रहने के बाद मैं दुख में जी रही हूं] लेकिन अब चिंता इस बात कि है कि मेरे नातियों का क्या होगा. अभी पांचों नाती छोटे हैं. इनकी उम्र भी ज्यादा नहीं है. मेरे रहते अगर प्रशासन मेरे नातियों के पढ़ाने की व्यवस्था कर दे] तो मेरी इच्छा पूरी होगी.
मानव तस्करी होने का डर
गुमला में मानव तस्करी चरम पर है. मानव तस्कर वैसे बच्चों को दिल्ली, गोवा, असम व अन्य बड़े शहरों में ले जाकर बेच देते हैं, जिनके माता पिता नहीं हैं. ऐसे में लिटियाटोली के इन पांच मासूम भाइयों के तस्करों द्वारा ठग कर कहीं ले जाने का डर है. इसलिए जरूरी हो गया है कि प्रशासन इन बच्चों को आश्रय देते हुए पढ़ाई की व्यवस्था करे. हालाकि अभी अमित व आशीष अपनी दादी के साथ हैं, जबकि देवा, आलोक व अंकित को उसकी नानी अपने घर ले गयी है.