उकर सड़क चकाचक, हमर अइसन की गिरले तो मरब
रायडीह(गुमला): उकर सड़क चकाचक है. हमर सड़क अइसन कि गिरले तो मरब. यह कहना कोरकोटोली गांव के ग्रामीणों का है. गांव में मलेरिया फैलने के बाद प्रभात खबर के प्रतिनिधि गांव पहुंचे. गांव का हालत देखा. लोगों ने जैसा कहा. जैसा कि वहां की स्थिति मिली. आज भी यह गांव सरकारी योजनाओं से महरूम है. […]
रायडीह(गुमला): उकर सड़क चकाचक है. हमर सड़क अइसन कि गिरले तो मरब. यह कहना कोरकोटोली गांव के ग्रामीणों का है. गांव में मलेरिया फैलने के बाद प्रभात खबर के प्रतिनिधि गांव पहुंचे. गांव का हालत देखा. लोगों ने जैसा कहा. जैसा कि वहां की स्थिति मिली. आज भी यह गांव सरकारी योजनाओं से महरूम है. ग्रामीणों ने कहा : हमारे गांव से दो किमी की दूरी पर छत्तीसगढ़ राज्य का सीमा सटता है. लेकिन उस राज्य की सड़क चलने लायक है. परंतु दुर्भाग्य है. हमारे राज्य की सड़क ठीक नहीं है. यहां चलना दूभर है. दो पहिया गाड़ी बड़ी मुश्किल से चलती है. गांव की वार्ड सदस्य सरिता देवी ने कहा कि विकास के मामले में हमारा गांव पीछे है. सरकार व प्रशासन का इस गांव की ओर ध्यान नहीं है. सांसद व विधायक आते नहीं है. किसी प्रकार गांव के लोग जी रहे हैं.
उन्होंने कहा कि गांव में मलेरिया फैला है. लेकिन अभी तक किसी को सूचना नहीं है. जबकि एक सप्ताह से लोग मलेरिया से परेशान हैं. जिस प्रकार स्थिति हो रही है. अगर जल्द स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराया गया तो मुश्किल हो सकती है. गांव के रवींद्र गोप, अजरुन सिंह व श्रवण सिंह ने बताया कि अंग्रेजों से हम 70 साल पहले आजाद हुए. झारखंड राज्य अलग हुए 17 साल हो गया. लेकिन आज भी हमारे गांव की तकदीर व तसवीर नहीं बदली है. गांव में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. गांव की जो स्थिति है. ऐसा है कि हम यहां बीमारी से भी मर जायेंगे तो किसी को खबर नहीं लगेगी. भगवान का शुक्र है कि कम से कम मीडिया के लोग तो यहां पहुंचे हैं.
गांव जाने के लिए पगडंडी
कोरकोटोली गांव रायडीह प्रखंड के केमटे पंचायत में पड़ता है. यह छत्तीसगढ़ राज्य से सटा है. गांव चारों ओर जंगल व पहाड़ों से घिरा है. रास्ता नहीं है. पगडंडी व जंगल के रास्ते से होकर लोग सफर करते हैं. गांव में 55 परिवार है. आबादी करीब 320 है. रायडीह से होकर गांव जाने वाली सड़क में जगह जगह गड्ढा है.