गुमला: गुमला जिले की सबसे बड़ी सिंचाई योजना अपरशंख जलाशय परियोजना में करीब एक करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. मामूली काम कर इतनी मोटी रकम को अभियंता व संवेदक डकार गये.
डैम के दायें मुख्य नहर में अभियंता एवं संवेदकों की सांठगांठ के फलस्वरूप नहर तल की सफाई, विचलन तथा अन्य कार्यों के नाम पर लगभग एक करोड रुपये की हेराफेरी हुई है. यह मामला वर्ष 2016 में ही विभाग के उच्चधिकारियों के समक्ष आया था. उसके बाद इस घोटाले की जांच के लिए विभाग द्वारा विशेष जांच उड़नदस्ता टीम का गठन कर जांच करायी गयी. इसके बाद मामला उजागर हुआ था. लेकिन आज तक इस घोटाला एवं जांच के एक वर्ष होने के बावजूद स्पष्टीकरण छोड़ कर अन्य कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
इस मामले को कुछ अभियंताओं द्वारा दबाने का प्रयास चल रहा है. एक करोड़ के इस खेल में अपर शंख जलाशय परियोजना प्रमंडल संख्या- टू के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार, कनीय अभियंता मृत्युंजय कुमार, श्यामल कुमार, सहायक अभियंता, रोकड़पाल व लेखा लिपिक सहित लगभग एक दर्जन लोग आरोपी हैं.
प्रधान सचिव सुखदेव सिंह के निर्देश पर जांच हुई
डैम के दायें मुख्य नहर में हुई गड़बड़ी व एक करोड़ रुपये के घोटाले की सूचना पर जल संसाधन विभाग झारखंड सरकार के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह के निर्देश पर विशेष जांच उड़नदस्ता टीम का गठन किया गया था. टीम ने (नवंबर-दिसंबर 2016 में जांच प्रतिवेदन पत्रांक 4987/20-10-16 को) अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी. लेकिन एक साल बीतने के बाद भी इस पर विशेष कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जांच उड़नदस्ता टीम के प्रधान कार्यपालक अभियंता नागेश मिश्र ने अपनी 400 पेज की जांच रिपोर्ट में (जिसमें सिर्फ 22 पृष्ठ अपर शंख जलाशय परियोजना दायें मुख्य नहर के घोटाले की चर्चा है) अपर शंख जलाशय परियोजना प्रमंडल संख्या- टू के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सहित कनीय अभियंता मृत्युंजय कुमार, श्यामल कुमार, सहायक अभियंता, रोकड़पाल, लेखा लिपिक सहित एक दर्जन से अधिक लोगों को आरोपी बनाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी. आश्चर्य की बात यह है कि इस जांच रिपोर्ट में मुख्य अभियंता गणेश राम को भी जांच के घेरे में लिया गया है, लेकिन अभी तक इस मामले में शो-कॉज ही हुआ है. आगे की कार्रवाई लंबित है.
जांच में यह मामला सामने आया है
जांच टीम ने अपर शंख जलाशय परियोजना की दायें मुख्य नहर में हुए घोटाले में कई गड़बड़ियों को पकड़ते हुए अपनी जांच रिपोर्ट में बिंदुवार इसका विवरण दिया है. पहला बिंदु यह है कि जांच टीम ने विभिन्न मिट्टी कार्य के मदों में 54 लाख 50 हजार 152 रुपये के भुगतान पर प्रश्न चिह्न लगाते हुए इसे संदेहास्पद बताया है. दूसरा बिंदु यह है कि सीडब्ल्यूसी द्वारा नहर के फिलिंग पोर्सन 270 से 495 मीटर तक लाइनिंग कार्य कराने का निर्देश गया था, लेकिन बिना अनुमति के डीप कटिंग पोर्सन में भी लाइनिंग का कार्य कराया गया. तीसरा बिंदु लाइनिंग कार्य कराने के कारण एक करोड़ 14 लाख 19 हजार 543 रुपये के भुगतान को अनुपयोगी व अनावश्यक बताते हुए जांच टीम ने प्रश्न चिह्न लगाया है.