हाथ में फूटी कौड़ी नहीं, दो बच्चों को लेकर भटक रही मां
गुमला : हाथ में फूटी कौड़ी नहीं है. रहने के लिए घर नहीं है. बदन में जो कपड़ा है, बस वही बच गया है. यह कहानी चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ निवासी मीरा देवी व उसके दो बच्चों की है. मीरा देवी का पति राजकुमार साहू एक साल पहले किसी दूसरी औरत को लेकर भाग गया. […]
गुमला : हाथ में फूटी कौड़ी नहीं है. रहने के लिए घर नहीं है. बदन में जो कपड़ा है, बस वही बच गया है. यह कहानी चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ निवासी मीरा देवी व उसके दो बच्चों की है.
मीरा देवी का पति राजकुमार साहू एक साल पहले किसी दूसरी औरत को लेकर भाग गया. इधर, पति के भागने के बाद ससुराल वालों ने दो महीना पहले मीरा व उसके बच्चों को घर से निकाल दिया. अब मीरा अपने दो बच्चों को लेकर पेट पालने के लिए भटक रही है. घर से निकाले जाने के बाद बुधवार को मीरा अपने दो बच्चों को लेकर गुमला पहुंची. उसने बताया कि किसी से बस भाड़ा का पैसा उधारी में लेकर आये हैं. वह बस पड़ाव में पहुंची, तो समीप में रहने वाली यातायात महिला पुलिस कर्मी गीता देवी के घर पहुंच गयी.
मीरा की स्थिति को देखते हुए गीता व उसके पति लक्ष्मी साहू ने खाने-पीने की व्यवस्था की. मीरा ने कहा कि जब उसका पति भाग गया और ससुराल वाले प्रताड़ित करने लगे, तो थाना में जाकर शिकायत की थी. लेकिन थाना के लोग भी फरियाद नहीं सुने. अब दर-दर भटकने को विवश हैं. मीरा ने बताया कि उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं है. दोनों बच्चों की भी परवरिश करनी है. उसने सीडब्ल्यूसी से दोनों बच्चों के आश्रय देने की मांग की है.