अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: पलायन रोकने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं गुमला की मुक्ता पूनम
।। बुधमनी ।। 8 मार्च को पूरे विश्व में एक साथ महिला दिवसमनाया जा रहा है. इस दौर में महिलायें हर क्षेत्र में सफलता के शिखर को छू रही हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि बैंकिंग, आईटी, मेडिकल, शिक्षा, इंजिनियरिंग, बिजनेस और उद्यमिता हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है. देशभर […]
।। बुधमनी ।।
8 मार्च को पूरे विश्व में एक साथ महिला दिवसमनाया जा रहा है. इस दौर में महिलायें हर क्षेत्र में सफलता के शिखर को छू रही हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि बैंकिंग, आईटी, मेडिकल, शिक्षा, इंजिनियरिंग, बिजनेस और उद्यमिता हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है.
देशभर में 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में हर साल लड़कियां, लड़कों पर भारी पड़ती हैं. एक छोटे से गांव से बाहर निकलकर आज महिलाएं अपने-अपने क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं. आगे बढ़ने की राह इतनी आसान नहीं है लेकिन उनकी जिद और जुनून हर रुकावट पर भारी पड़ रही है. महिला दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी बता रहे हैं जो अपनी मेहनत और कारोबारी जज्बे से लगातार अपने गांव की महिलाओं को आगे बढ़ाने और पलायन को रोकने के लिए कार्य कर रही हैं.
झारखंड के गुमला जिले से 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव जुंगाटोली की रहनेवाली मुक्ता पूनम बारला लगातार गांव की महिलाओं को आगे बढ़ने के प्रोत्साहित कर रही हैं. मुक्ता पूनम बारला महिला मंडल की सदस्या हैं. वे सरकार द्वारा चलाये जा रहे सभी योजनाओं के बारे में गांव के लोगों को जानकारी दे रही है साथ ही इसका लाभ उन्हें मिले इसके लिए भी लगातार प्रयास कर रही हैं.
पलायन रोकना चाहती हैं मुक्ता
मुक्ता बताती है,’ गांव में महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है और जो थोड़ा ज्यादा पढ़ लिख गई हैं वो गांव में रहना नहीं चाहतीं. वे कमाने के लिए दूसरे प्रदेशों में चली जाती है. मैं चाहती हूं कि गांव की महिलायें खुद आत्मनिर्भर बनें और खुद आगे बढ़ने की कोशिश करे. झारखंड के प्रत्येक पंचायत में फैशन बाजार नि:शुल्क प्रशिक्षण केंद्र खोला जा चुका है और यहां प्रशिक्षण के लिए महिलाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया चल रही है. जिसमें महिलाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण, ब्यूटीशियन, फार्मिंग, एक्टिंग, मोमबत्ती और अगरबत्ती बनाने, टमाटर सॉस और फिनाईल बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा.
इसके लिए हम दो-तीन महिलाएं हर रोज गांव-गांव जाकर इस प्रशिक्षण के बारे में उन्हें बता रही हैं. हम गांव में ही प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात कर रहे हैं ताकि यहां की महिलाओं को ज्यादा दूर न जाना पड़े. इन प्रशिक्षण केंद्रों से सीखकर वे खुद भी इसका कारोबार कर सकती है जिससे वे बाहर काम करने नहीं जायेगीं. इससे पलायन रूकेगा. इसलिए हमलोग ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को फैशन बाजार की जानकारी दे रहे हैं.’
शराबबंदी के लिए कर चुकी हैं प्रयास
36 वर्षीया मुक्ता बताती हैं कि,’ गांव में कई बार शराब पीकर पत्नी के साथ मारपीट करने की भी बात सामने आ चुकी है. कई बार हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई है. लेकिन कई बार गांववालों का सहयोग नहीं मिलता, कई बार महिलायें भी साथ नहीं देती. हमलोग कोशिश करते हैं कि पीडित महिला को समझाये कि वो खुद आत्मनिर्भर बने और पति को शराब पीने से रोके. लेकिन जब कभी भी ऐसा कोई मामला आता है तो हम मुखिया से बात करते हैं और दोबारा ऐसा ने करने के लिए समझाते हैं. शराब को बंद करने के लिए भी हमने कई बार पहल की लेकिन गांववालों का सहयोग नहीं मिलने के कारण हमें कई बार पीछे हटना पड़ा.
सड़क बनवाना चाहती हैं
मुक्ता की दो बेटियां हैं और दोनों स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं. मुख्ता दोनों बेटियों को गुमला के अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती हैं लेकिन स्कूल न होने के कारण टोटो के स्कूल में पढ़ाई कर रही है. दोनों साइकिल से जाती हैं. मुक्ता अब गांव की महिलाओं के साथ प्रयास कर रही है कि किसी तरह गांव में सड़क बन जाये. मुक्ता का कहना है कि किसी तरह सड़क बन जाये, तो बच्चे गुमला के अच्छे स्कूलों में पढ़ पायेंगे और अपना भविष्य बना पायेंगे. गुमला से गांव आने के लिए एक कच्ची सड़क है और नदी पार कर आना पड़ता है. बरसात में कच्ची सड़क कीचड़ से सन जाती है और नदी में पानी भर जाता है. ऐसे में पैदल जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता. सड़क न होने के कारण अस्पताल ले जाने के क्रम में गांव के दो लोगों की मौत भी हो चुकी है.
खेती के लिए कर रहीं प्रोत्साहित
मुक्ता कहती हैं, गांव में महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन किसी भी काम को सीखने में विशेष दिलचस्पी रखती हैं. गांव में एकमात्र आय का साधन खेती है. मैं कोशिश करती हूं कि मीटिंग के दौरान सभी महिलाओं को बीज और खाद उपलब्ध हो जाये. गांव में सड़क नहीं है ऐसे में गांव तक बीज और खाद लाना बहुत मुश्किल है. मुक्ता कहती हैं कि, मैं शहर जाकर खेती की कई नयी तकनीक सीखकर आती हूं और गांव वालों के साथ साझा करती हूं. कई बार हम महिला समूह की कुछ सदस्य मिलकर मुखिया से मीटिंग रखने के लिए बात करते हैं ताकि गांववालों से खेती के बारे में खुलकर बात हो सके. गांवों में पानी की कमी है, गर्मियों में कुएं सूख जाते हैं और चपानल से खेतों में पानी देना संभव नहीं है. ऐसे में हम गावं के लोगों को टपक सिंचाई के बारे में भी जानकारी देते हैं.