गुमला : 151 दिन में 111 की हत्या

– पुलिस, प्रशासन के हाथ से निकला जिला– 13 आपराधिक, एक नक्सली और एक उग्रवादी गिरोह सक्रिय– 10 व्यापारियों ने किया पलायनगुमला : गुमला में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है. जिला प्रशासनिक नियंत्रण से बाहर चला गया है. यहां औसतन हर तीन दिन में दो हत्याएं हो रही हैं. हर माह करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:43 PM

– पुलिस, प्रशासन के हाथ से निकला जिला
– 13 आपराधिक, एक नक्सली और एक उग्रवादी गिरोह सक्रिय
– 10 व्यापारियों ने किया पलायन
गुमला : गुमला में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है. जिला प्रशासनिक नियंत्रण से बाहर चला गया है. यहां औसतन हर तीन दिन में दो हत्याएं हो रही हैं. हर माह करीब 22 लोग मारे जा रहे हैं. इस साल पांच माह में जिले के 13 थाना क्षेत्रों में 111 लोगों की हत्या कर दी गयी है.

जिले के कई प्रखंडों में उग्रवादियों व अपराधियों का राज चलता है. जिले में करीब 13 आपराधिक गिरोह के अलावा पीएलएफआइ व भाकपा (माओवादी) सक्रिय हैं. सबसे अधिक घटनाएं गुमला थाना क्षेत्र में घटी है. यहां पांच माह में 28 लोगों की हत्या की गयी.

व्यापार करना मुश्किल

जिले में इस साल अपहरण और लेवी से संबंधित एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं. कई ऐसे मामले हैं, जो थाने तक नहीं पहुंचते. लोग डर से चुपचाप रहते हैं और अपराधियों व उग्रवादियों को लेवी पहुंचा देते हैं.

व्यापारियों को लेवी के रूप में अपनी पूरी कमाई देनी पड़ रही है. इससे करीब 10 व्यापारियों ने जिला ही छोड़ दिया.

जन प्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं

जिले में जन प्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं हैं. करीब नौ माह पूर्व पालकोट की जिप सदस्य कलावती देवी की हत्या कर दी गयी थी. दो माह पूर्व पीएलएफआइ ने उप मुखिया के पति नीलांबर को मार डाला था. एक सप्ताह पूर्व गुमला की पुरनाटोली में रूदन देवी सहित तीन लोगों की हत्या कर दी गयी. डुमरी में भाजपा नेता राम नगीना सिंह को अगवा कर 27 मई की रात उनकी हत्या कर दी गयी. प्रतिशोध में 28 मई की रात ग्रामीणों ने दो कथित अपराधियों को मार डाला.

पुलिसवाले भी नहीं निकलते

जिलों के कई थाना क्षेत्रों की पुलिस भी शाम के बाद नहीं निकलती. माओवादियों ने चार अप्रैल को चैनपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित बाजार में घुस कर दिनदहाड़े पांच पुलिसकर्मियों को मार डाला था. हथियार लूट लिये थे. ठीक दो दिन बाद छह अप्रैल को माओवादियों ने चैनपुर थाने पर हमला कर दिया था. घंटों मुठभेड़ चली.

पर कोई पुलिसकर्मी बाहर नहीं निकला. इसके बाद माओवादियों ने करीब पांच घंटे तक प्रखंड मुख्यालय को कब्जे में ले लिया. प्रखंड कार्यालय उड़ा दिया. 13 मार्च को चैनपुर के सिविल में माओवादियों ने पुलिस को घेर लिया था. दो दिनों तक दोनों ओर से फायरिंग हुई. एक जवान भी मारा गया. गुमला में ऐसी घटना अब आम हो गयी है.
– ओमप्रकाश चौरसिया –

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