कुदरत से मिले अनमोल उपहार को बचाये रखें: भिखारी भगत
बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के कुजाम नवाटोली में प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया. सर्वप्रथम सरना स्थल में बैगा लालदेव असुर व पहान ने पूजा-अर्चना करायी. इसके बाद पारंपरिक वेशभूषा में गीत-नृत्य करते हुए सरहुल शोभायात्रा निकाली, जो लिप्टस बागान पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी. सभा के मुख्य अतिथि भाजपा किसान मोर्चा के केंद्रीय […]
बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के कुजाम नवाटोली में प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया. सर्वप्रथम सरना स्थल में बैगा लालदेव असुर व पहान ने पूजा-अर्चना करायी. इसके बाद पारंपरिक वेशभूषा में गीत-नृत्य करते हुए सरहुल शोभायात्रा निकाली, जो लिप्टस बागान पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी. सभा के मुख्य अतिथि भाजपा किसान मोर्चा के केंद्रीय सदस्य भिखारी भगत ने कहा सरहुल प्रकृति पर्व है. इसमें आदिवासियों की संस्कृति की झलक दिखायी पड़ती है. प्रकृति को बचाये रखने के लिए सरहुल जैसे त्योहार की जरूरत है. कुदरत से मिले अनमोल उपहार को बचाये रखना हम सभी की जिम्मेवारी है. पेड़-पौधे, जल-जंगल, नदी-पहाड़ बचे रहेंगे,
तो हम बचे रहेंगे. जिला परिषद सदस्य सावित्री देवी ने कहा की आदिवासी समाज के रीति-रिवाज अन्य समाज से काफी अलग है. आदिवासियों की एक-एक परंपरा लोगों की जिंदगी से जुड़ी हुई है, जो भाईचारगी और सादगी का संदेश देता है. इसे आज कायम रखने की जरूरत है. सांसद प्रतिनिधि रवींद्र भगत ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का पुजारी है. सरहुल प्रकृति के पूजन और संरक्षण का त्योहार है. विमल चंद्र असुर ने कहा कि सरहुल न सिर्फ प्रकृति पर्व है, बल्कि यह एकता और भाईचारे का भी पर्व है. मौके पर मुखिया के तिग्गा, जगत ठाकुर, नीलन भगत, प्रदीप भगत, अनिल बड़ाइक व सुरेश असुर सहित कई लोग उपस्थित थे.