दिव्यांग कलावती ने गांव को बनाया साक्षर
मिसाल l खुद मजदूरी कर पढ़ाई पूरी की गुमला : गुमला से 14 किमी दूर स्थित सिलाफारी ठाकुरटोली गांव की दिव्यांग कलावती कुमारी पूरे गांव में शिक्षा की अलख जगाये हुए है. कलावती पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है. ईंट-भट्ठा में मजदूरी करते हुए ही उसने इंटर की पढ़ाई पूरी की. अभी स्नातक में […]
मिसाल l खुद मजदूरी कर पढ़ाई पूरी की
गुमला : गुमला से 14 किमी दूर स्थित सिलाफारी ठाकुरटोली गांव की दिव्यांग कलावती कुमारी पूरे गांव में शिक्षा की अलख जगाये हुए है. कलावती पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है. ईंट-भट्ठा में मजदूरी करते हुए ही उसने इंटर की पढ़ाई पूरी की. अभी स्नातक में है, साथ ही गांव के लोगों को साक्षर बना रही है और नशापान के खिलाफ मुहिम चला रही है.
दिव्यांग कलावती ने…
दिव्यांग कलावती की आज अपने गांव ही नहीं, पूरे क्षेत्र के लिए आदर्श बन गयी है.
कलावती की मानें तो पहले उसके गांव (ठाकुरटोली) में अधिकतर लोग अशिक्षित थे और नशापान करते थे. उसके माता-पिता भी अशिक्षित और ईंट भट्ठा में मजदूरी करते थे. दिव्यांग इन परिस्थितियों ने उसे मजबूत बनाया. कलावती भी माता-पिता के साथ ईंट भट्ठा में मजदूरी करने गयी और रुपये जमा किये. उन रुपये से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. अभी हिस्ट्री (ऑनर्स) पार्ट-1 की छात्रा है. कॉलेज में पढ़ते हुए वह साक्षरता अभियान से जुड़ी. पहले उसने अपने माता-पिता को पढ़ना-लिखना सिखाया और साक्षर बनाया. अपनी दो बहनों का स्कूल में दाखिला कराया. इसके बाद गांव में फैली अशिक्षा व नशापान जैसी बुराई को दूर करने का बीड़ा उठाया.
उसने बस्ती की 40 अनपढ़ महिला-पुरुषों को पढ़ने-लिखने की सार्थकता बतायी और साक्षर बनाने के प्रयास में जुट गयी. आज कलावती द्वारा पढ़ाये गये गांव के लोग हर काम में हस्ताक्षर (जबकि पहले अंगूठा लगाते थे) करते हैं. गांव के लोग अखबार भी पढ़ लेते हैं. इतना ही नहीं, यह कलावती की मुहिम का ही असर है कि अब गांव का हर बच्चा स्कूल जाता है. वहीं, कलावती के साथ मिलकर गांव की महिलाओं ने नशापान के खिलाफ मुहिम चला रखी है. अब ठाकुरटोली बस्ती में किसी के घर में हड़िया-दारू नहीं बनता है.
लोक शिक्षा केंद्र चला रही है कलावती
वर्ष 2017 से साक्षरता अभियान में कलावती प्रेरक के रूप में कार्यरत है. सिलाफारी पंचायत में वह लोगों को पढ़ाती है. अभी लोक शिक्षा केंद्र में रहती है. जहां कई प्रकार की पुस्तकें हैं. कलावती केंद्र के माध्यम से पंचायत के युवक-युवतियों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करती है. अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाने की मुहिम जारी है. कलावती एक साल से लोक शिक्षा केंद्र में है, लेकिन उसे मानदेय नहीं मिलता है. वह नि:शुल्क सेवा दे रही है.
अनपढ़ फूलमनी को बना दिया वीटी
गांव की फूलमनी देवी पहले अनपढ़ थी. कलावती ने उसे पढ़ाया. साक्षर होकर फूलमनी आज वीटी (स्वयंसेवी शिक्षक) बन गयी है. अब फूलमनी भी अनपढ़ लोगों को पढ़ा-लिखा कर साक्षर बना रही है. फूलमनी बताती है कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब पढ़ने-लिखने सीख गयी. कल्पना ने पूरे गांव की तस्वीर ही बदल दी. अब मैं लोगों को साक्षर बनाने का काम कर रही हूं. यह सपने के सच होने जैसा है.