गुमला : हूल दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन गुमला के तत्वावधान में विकास भवन सभागार में शनिवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ सिदो-कान्हू के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ. मौके पर उपायुक्त शशि रंजन ने कहा कि ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों और जमींदारों के खिलाफ संताल आदिवासी समुदाय द्वारा सन 1855-56 में शुरू किये गये आंदोलन को हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है. ब्रिटिश सत्ता के समय में आदिवासियों पर काफी शोषण हो रहा था.
साहुकारों से कर्ज लेकर आदिवासी उनके बोझ के तले दबे हुए थे. जमींदार उनकी जमीन लूटने में लगे हुए थे. वहीं अंगरेज भी कई तरह से शोषण और अत्याचार कर रहे थे. इसी शोषण, अत्याचार और जमीन हड़पने के खिलाफ संताल हूल शुरू किया. 30 जून 1855 को संताल परगना प्रमंडल के साहेबगंज जिला स्थित बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह में तकरीबन 10 हजार संतालों का जुटान हुआ, जहां दो वीर भाइयों सिदो व कान्हू को नेता चुना गया. इनके नेतृत्व में शोषण, अत्याचार और जमीन हड़पने के खिलाफ लड़ाई लड़ी गयी. इसी लड़ाई के दौरान सिदो गोली के शिकार हो गये और कान्हू को अंगरेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया.
उपायुक्त ने कहा कि साहुकारों, जमींदारों और अंगरेजों के खिलाफ खून बहाने वाले सिदो-कान्हू सहित सभी संताली आज भी हम सबों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. वहीं कार्यक्रम में गुमला शहर में सिदो-कान्हू की प्रतिमा स्थापित करने पर भी चर्चा की गयी.