दुर्जय पासवान@गुमला
भूखमरी, गरीबी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को अब अपनी जान नहीं देनी पड़ेगी. क्योंकि इनसे निपटने के लिए गुमला प्रशासन व प्रतिनिधियों के पास फंड है. डीसी के फंड में पांच लाख, मुखिया के फंड में दस हजार व नगर परिषद गुमला शहर के वार्ड पार्षद के फंड में पांच हजार रुपये है. संबंधित अधिकारी व जनप्रतिनिधि अपने स्वविवेक पर गरीबी, भूखमरी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों पर उक्त राशि खर्च कर सकते हैं. गुमला प्रशासन द्वारा सभी मुखिया व वार्ड पार्षदों को फंड उपलब्ध करा दिया है.
इस संबंध में गुमला डीसी शशि रंजन ने बताया कि अक्सर गुमला जिले में देखा जाता है कि भूखमरी, गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं. ऐसी मौतों व इन परिस्थितियों से निपटने के लिए ही सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराया गया है. गुमला जिले के सभी 159 पंचायत के मुखियाओं को दस-दस हजार व गुमला शहर के सभी 22 वार्ड के पार्षदों को पांच-पांच हजार रुपये खाता में दिया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर गांव या शहर में कोई गरीग है. खाने के लिए नहीं है. या फिर कोई दूसरी परेशानी है. लेकिन उसके पास पैसा नहीं है. जिससे वह परेशान है. ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन लोगों को मदद की जा सकती है. जो राशि मुखिया व वार्ड पार्षदों को दिया गया है. अगर वे उक्त पैसे को खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र देते हैं, तो पुन: मुखिया व पार्षद को फंड उपलब्ध कराया जायेगा. डीसी ने यह भी बताया कि गरीबी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को चिन्हित कर उन्हें राशन कार्ड भी उपलब्ध कराने की दिशा में कार्रवाई करनी है.
महिलाओं को चप्पल बनाने का मिलेगा प्रशिक्षण : डीसी
उपायुक्त शशि रंजन ने कहा कि महिलाओं को चप्पल बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. पहले फेज में भरनो प्रखंड का चयन किया गया है. यहां 30 महिलाओं को पहले प्रशिक्षित किया जायेगा. प्रशिक्षण के बाद चप्पल बनाने की सामग्री दी जायेगी. महिलाएं जो चप्पल बनायेंगी. उसे बाजार भी उपलब्ध कराया जायेगा. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के मकसद से गुमला प्रशासन यह पहल शुरू करने जा रही है. इसके अलावा जो बुनकर हैं. उन्हें भी प्रशिक्षित किया जायेगा. भरनो व सिसई में बुनकर केंद्र की स्थापना होगी. जिससे बुनकर खुद की सामग्री बनाकर उसे बेचकर आर्थिक रूप से मजबूत हो सके.
डीसी ने यह भी बताया कि बांस से निर्मित सामग्री को उद्योग का रूप दिया जायेगा. घाघरा प्रखंड के तुरी जाति के लोगों को बांस आधारित सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. बांस से जो डिजाइनदार सामग्री बनेगा. उसे भारत के दूसरे राज्यों के अलावा विदेशों में भी बेचा जायेगा. इसके लिए बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है. वहीं बिशुनपुर प्रखंड में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जायेगा. करौंदी गांव की महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देने की योजना है.