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गुमला जिले का 1200 सैंपल रिम्स व इटकी में पेंडिंग, कोरेंटिन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर परेशान

गुमला जिले का अभी और करीब 1200 कोरोना जांच सैंपल पेंडिंग है, जिसमें 800 सैंपल आरोग्यशाला (Sanatorium) इटकी में है. वहीं, 2 जून से 5 जून तक लिए गये 400 से अधिक सैंपल रिम्स रांची में पेंडिंग है. सैंकड़ों सैंपल ऐसे हैं जो महीनों से पेंडिंग है. वहीं, कोरेंटिन सेंटर में रहने वाले लोग भी अब जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से परेशान होने लगे हैं.

गुमला : गुमला जिले का अभी और करीब 1200 कोरोना जांच सैंपल पेंडिंग है, जिसमें 800 सैंपल आरोग्यशाला (Sanatorium) इटकी में है. वहीं, 2 जून से 5 जून तक लिए गये 400 से अधिक सैंपल रिम्स रांची में पेंडिंग है. सैंकड़ों सैंपल ऐसे हैं जो महीनों से पेंडिंग है. वहीं, कोरेंटिन सेंटर में रहने वाले लोग भी अब जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से परेशान होने लगे हैं. यह जानकारी गुमला सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड के नोडल पदाधिकारी से प्राप्त हुई है. पूरा मामला क्या है, पढ़ें दुर्जय व जॉली की रिपोर्ट.

आइसोलेशन वार्ड (Isolation ward) के नोडल पदाधिकारी ने बताया कि आरोग्यशाला (Sanatorium) इटकी में गुमला का सैंपल अधिक पेंडिंग होने के कारण अब 2 जून से गुमला जिला से कोरोना सैंपल आरोग्यशाला इटकी नहीं भेजा जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सचिव से पत्र प्राप्त हुआ है. उस पत्र के आलोक में सैंपल को इटकी नहीं भेजना है.

आरोग्यशाला इटकी में दक्षिणी छोटानागपुर के 6 जिलों के सैंपल जांच का दबाव है, जिसकी वजह से वहां सैंपल अधिक पेंडिंग है. इटकी में गुमला जिला का लगभग 800 सैंपल पेंडिंग है. यहां बता दें कि गुमला जिले से अबतक लगभग 6000 कोरोना सैंपल जांच के लिए भेजा गया था, जिसमें 1200 सैंपल पेंडिंग है.

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इधर, गुमला को कोरोना जांच (Corona check) करने के लिए ट्रू-नेट मशीन (True-net machine) मिल गया है. इसका उदघाटन भी हो गया है, लेकिन इस ट्रू-नेट मशीन से कोरोना जांच का सैंपल जांच करना मुश्किल है. इस ट्रू-नेट मशीन में डेढ़ घंटे में सिर्फ 4 मरीजों के सैंपल की ही जांच हो सकती है. अगर दिन भर भी जांच की जाये, तो लगभग 25 मरीजों की जांच की जा सकती है.

आपातकाल में अगर किसी मरीज की जांच करना है, तो ट्रू-नेट मशीन ठीक है. लेकिन, अगर अधिक सैंपल की जांच करनी है, तो मुश्किल है. अधिकारी ने अधिक जांच होने के संबंध में कहा कि रिम्स व आरोग्यशाला इटकी में आरटी पीसीआर (RTPCR) मशीन लगाया गया है, जिसमें जांच करने की क्षमता अधिक है. वहां प्रतिनियुक्त लैब टेक्नीशियन पर निर्धारित करता है कि वह कितना घंटा काम कर सकता है, जिससे जांच अधिक हो सकेगी.

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इधर, सैंपल पेंडिंग रहने से गुमला जिले के विभिन्न कोरेंटिन सेंटर में रहने वाले प्रवासी मजदूर परेशान हैं. कई मजदूरों ने कहा कि अब एक ही कमरे में एक महीने से रहने से दम घुटने लगा है. प्रशासन इसके लिए पहल कर सैंपल जल्द जांच कराये.

Posted By : Samir ranjan.

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