।। दुर्जय पासवान ।।
ग्रामीणों के अनुसार 72 घंटे से पुलिस बालमोहन को रखे हुए है. जब बालमोहन का कसूर पूछने लोग पुलिस पदाधिकारी के पास पहुंचे तो मुखिया के साथ अभद्र व्यवहार किया गया. इसके बाद गुस्साये लोगों ने सोमवार को बालमोहन को छोड़ने की मांग को लेकर दिन के 12 से लेकर चार बजे तक एसपी के आवासीय कार्यालय के गेट को घेरकर बैठे रहे.
इस दौरान थाना प्रभारी राकेश कुमार, महिला थानेदार सरस्वती मिंज ने ग्रामीणों को समझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन ग्रामीण बालमोहन को पुलिस के शिंकजे से मुक्त करने की मांग पर अड़े रहे. साथ ही एसपी से मिलने की बात करते रहे.
हाई-वोल्टेज ड्रामा के बाद एसपी अंशुमान कुमार ने अपने कार्यालय में बुलाकर मुखिया संध्या देवी व गांव के कुछ लोगों से बात की. एसपी से वार्ता के बाद मुखिया ने कहा कि एसपी से बात हुई है. उन्होंने बताया है कि बालमोहन को पूछताछ के लिए गुमला लाया गया था. इसके बाद उसे चैनपुर थाना भेजा गया. जहां से बालमोहन को छोड़ दिया गया है.
इधर, मुखिया ने कहा है कि बालमोहन निर्दोश है. उसे पुलिस अगर शक के दायरे में पकड़ी है तो छोड़े. बेवजह बारडीह पंचायत के क्षेत्र के लोगों को अगर पुलिस परेशान करेगी तो हम चुप नहीं बैठेंगे.
* मेरे पति ने पुलिस को खिलाया था खाना : मंजू
बालमोहन की पत्नी मंजू देवी ने कहा कि मेरे पति का क्या कसूर था कि पुलिस उसे पकड़ी है. मेरे पति ने तो भूखे लोगों को खाना खिलाया है. लेकिन उलटे मेरे पति को ही माओवादी बताकर पुलिस पकड़कर थाना ले आयी.
उसने कहा कि शुक्रवार को तबेला स्कूल में सीआरपीएफ व कुरूमगढ़ थाना की पुलिस रूकी हुई थी. उस समय कुरूमगढ़ के थाना प्रभारी नीरज मिश्रा के कहने पर मेरे पति ने थाना प्रभारी को खाना बनाकर खिलाया था.
लेकिन गुमला से गयी पुलिस ने शनिवार को मेरे पति को इसलिए पकड़ लिया कि बालमोहन ने पुलिस को नहीं, बल्कि माओवादियों को तबेला स्कूल में ले जाकर खाना खिलाया है. मंजू ने कहा कि मेरे पति ने एक तो भलाई की. लेकिन उलटे मेरे पति को ही फंसाने का काम किया गया है.
* नक्सलियों को खोजने के लिए बच्चों को पीटा
बारडीह के वार्ड सदस्य सिकंदर उरांव ने कहा कि इधर कई दिनों से टोंगो के रास्ते से सीआरपीएफ के जवान गांव घुस रहे हैं. शुक्रवार को भी जवान बारडीह नवाटोली गये थे. जहां गांव के दो बच्चे मुकेश व चुंया लकड़ी चुन रहे थे. तभी जवानों ने दोनों बच्चों को पकड़ लिया. दोनों को पीटा. नक्सलियों के बारे में पूछा.
साथ ही सीआरपीएफ के जवानों ने मुकेश को लीलमाटी गांव जाकर नक्सलियों के ठहरने का स्थान एक घंटे के अंदर पता कर आने को कहा. जबकि बारडीह नवाटोली से लीलमाटी की दूरी करीब सात किमी है. मुकेश दौड़ते हुए लीलमाटी के लिए निकला. लेकिन जंगल व पहाड़ी इलाका का रास्ता भटकने के कारण वह वापस आ गया. इसके बाद शनिवार को पुलिस ने गांव में होटल चलाकर जीविका चला रहे बालमोहन को पकड़ लिया.