छात्रों का आरोप- मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता भोजन
दुर्जय पासवान@गुमला
गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय महेशपुर डीपा के चार बिरिजिया व असुर जनजाति के छात्र गुरुवार को मरते-मरते बच गये. स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को बासी भोजन खाने के लिए दिया. जिससे स्कूल के चार छात्र बीमार हो गये थे. खैर की समय पर बच्चों को अस्पताल लाया गया. जिससे डॉक्टर सृष्टि किन्डो ने इलाज कर चारों बच्चों की जान बचायी.
डॉक्टर ने कहा कि बासी भोजन खाने से चारों छात्रों की स्थिति खराब हो गयी थी. अगर थोड़ी देर होती तो मुश्किल हो सकता था. जानकारी मिली है कि जब छात्र बासी भोजन खाकर बीमार हो गये तो छात्रों ने अपनी बिगड़ते स्वास्थ्य की जानकारी स्कूल प्रबंधन को दी था. परंतु स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को अस्पताल ना ले जाकर स्कूल में ही देखभाल करने लगे. जब चारों छात्र बहुत ज्यादा उलटी करने लगे. तब छात्रों को अस्पताल लाया गया.
जिस परिस्थिति में छात्रों को लाया गया, अगर थोड़ी भी देर होती तो छात्रों के साथ कुछ भी हो सकता था. स्कूल प्रबंधन के अनुसार सभी छात्रों को एक तरह का भोजन परोसा गया था. लेकिन भोजन खाने के बाद चार छात्र क्रमशः अर्जुन बिरिजिया पिता गोबरी बिरिजिया, प्रमोद असुर पिता बुधराम असुर, बबलू असुर पिता बुधराम असुर, बुधेश्वर असुर पिता सुनील असुर बीमार हो गये.
स्थिति नाजुक होने के बाद 108 एंबुलेंस बुलाकर बच्चों को अस्पताल पहुंचाया गया. छात्रों ने बताया कि हॉस्टल में मीनू के आधार पर भोजन नहीं मिलता है. हर दिन दाल, भात, आलू चोखा खाने के लिए दिया जाता है. इसमें अगर कुछ भोजन बच जाता है तो उसी भोजन को दूसरे दिन भी खाने के लिए दिया जाता है.
छात्रों ने कहा कि सप्ताह में दो-तीन दिन बासी भोजन मिलता है और महीने में एक या दो दिन ही मीनू के आधार पर भोजन दिया जाता है. स्कूल के एचएम बाबू लाल ने कहा कि छात्रों को मीनू के आधार पर भोजन मिलता है. वहीं जैसे ही छात्र बीमार होते हैं. उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है.