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तस्करों ने नाबालिग को दिल्ली में बेचा, बेटी को वापस लाने के लिए पिता ने खेत रखा गिरवी, अब खाने के लाले

दुर्जय पासवान@गुमला दिल्ली में बेची गयी नाबालिक बेटी को सकुशल वापस लाने के लिए एक पिता को अपनी जमीन बंधक रखनी पड़ी. जब पिता ने चार हजार रुपये में खेत बंधक रखकर उक्त पैसा मानव तस्करों को दिया. तब तस्करों ने बेटी को दिल्ली से लाकर उसके परिजनों को सौंपा. बेटी को सकुशल देखकर परिजन […]

दुर्जय पासवान@गुमला

दिल्ली में बेची गयी नाबालिक बेटी को सकुशल वापस लाने के लिए एक पिता को अपनी जमीन बंधक रखनी पड़ी. जब पिता ने चार हजार रुपये में खेत बंधक रखकर उक्त पैसा मानव तस्करों को दिया. तब तस्करों ने बेटी को दिल्ली से लाकर उसके परिजनों को सौंपा. बेटी को सकुशल देखकर परिजन खुश हैं. लेकिन जमीन बंधक रखे जाने के बाद अब पिता के समक्ष खाने के लाले पड़ गये हैं. क्योंकि वही खेत परिवार के लिए जीने का सहारा था.

यह मामला गुमला जिला के घोर नक्सल प्रभावित चैनपुर प्रखंड से नौ किमी दूर स्थित डाड़टोली गांव की है. जानकारी के अनुसार 2018 के अक्तूबर माह में गांव की एक नाबालिक लड़की को मानव तस्करों ने गरीबी का फायदा उठाकर दिल्ली में ले जाकर बेच दिया था. जब उसके पिता को पता चला कि उसकी बेटी को दिल्ली में बेच दिया गया है, तो उसने मानव तस्करों से अपनी बेटी को लाने की गुहार लगायी.

मानव तस्करों ने दिल्ली में बेची गयी बेटी को वापस लाने के लिए उसके पिता से चार हजार रुपये मांगे. पिता के पास इतने पैसे नहीं थे. उन्होंने अपनी खेती योग्य भूमि बंधक रखकर चार हजार रुपये मानव तस्करों को दिये. इसके बाद तस्करों ने 18 नवंबर 2018 को उसकी बेटी को दिल्ली से लाकर उसके परिजनों को सौंपकर पुन: दिल्ली भाग गये.

इस प्रकार बेची गयी थी नाबालिक

पीड़िता के पिता ने बताया कि उसकी बेटी डाड़टोली स्‍कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा है. गांव के ही मानव तस्कर फुलमनी देवी व लाली देवी मेरी नाबालिग पुत्री को काम दिलाने के बहाने अक्तूबर माह में दिल्ली ले गये थे. जिस समय नाबालिक को दिल्ली ले जाया गया. उसके परिजनों को इसकी भनक तक नहीं लगी. खोजबीन के बाद पिता को पता चला कि उसकी बेटी को गांव की ही दो महिलाएं दिल्ली में ले जाकर बेच दिया है.

उसकी बेटी दिल्ली में एक कोठी में काम कर रही है. पिता अपनी बेटी को वापस लाने की गुहार लेकर पुलिस के पास जा रहा था. लेकिन तस्करों ने उन्हें पुलिस के पास जाने से रोका. तस्करों ने कहा कि ट्रेन से दिल्ली से आने-जाने में पैसा लगता है. चार हजार रहेगा तभी नाबालिक को वापस ला सकते हैं.

इसके बाद पिता ने गांव के अरसीत उरांव से खेत चार हजार रुपये में बंधक रख दिया. उस चार हजार रुपये को उसने तस्करों को दिया. तस्कर दिल्ली गये. उसकी बेटी को वापस लेकर चैनपुर पहुंचे. लेकिन घर तक उसकी बेटी को पहुंचाने के लिए एक अनजान युवक के साथ भेजकर वे भाग गये. यहां तक कि पुलिस से बचने के लिए घर पहुंचाने वाला युवक भी गांव में बिना रुके भाग गया.

जमीन बंधक है, अब भूखे मरने की नौबत आ गयी है

डाड़टोली गांव के इस शख्‍स ने कहा कि मैं गरीब आदिवासी हूं. खेतीबारी व मजदूरी कर परिवार का जीविका चलाता हूं. मेरे नौ बच्चे हैं. जिसमें चार लड़का व पांच लड़की है. सबसे बड़ी बेटी (14 वर्ष) की है, जिसे मानव तस्करों ने गरीबी का फायदा उठाकर दिल्ली में बेच दिया था. लेकिन मेरी बेटी अब वापस आ गयी. परंतु बंधक रखे खेत को कैसे छुड़ायें. यही चिंता है.

क्योंकि मजदूरी कर हर रोज कमाते हैं तो खाते हैं. चार हजार रुपये कब जमा होगा तो जमीन छुड़ायेंगे. जिस खेत को बंधक रखा है. उसी में खेती करते थे. अब मजदूरी करके ही परिवार का पेट पाल सकते हैं. ऊपर से नौ बच्चों की परवरिश व पढ़ाई का खर्च. अब उम्मीद प्रशासन से है. अब प्रशासन मदद नहीं करती है तो भूखे मरना पड़ेगा. पिता ने मानव तस्करों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है.

सीडब्‍ल्‍यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह ने कहा कि पीड़ित परिवार सीडब्ल्यूसी को लिखित आवेदन दे. अहतू थाना से मिलकर मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. वहीं रंजीत मुंडा के नौ बच्चों को सीडब्ल्यूसी संरक्षण देगी. पढ़ने व खाने पीने की व्यवस्था की जायेगी.

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