आर्थिक तंगी के कारण बीमार पारा टीचर की मौत, तीन महीने से मानदेय नहीं मिला था, इलाज के लिए नहीं थे पैसे
दुर्जय पासवान, गुमला आर्थिक तंगी के कारण बीमार पारा टीचर सुशील उरांव (45 वर्ष) की मौत हो गयी. उन्हें तीन माह से मानदेय नहीं मिला था. उसके घर में इलाज के लिए पैसे भी नहीं थे. जिस कारण घर में ही उसका इलाज चल रहा था. बेहतर इलाज के आभाव में सुशील ने घर में […]
दुर्जय पासवान, गुमला
आर्थिक तंगी के कारण बीमार पारा टीचर सुशील उरांव (45 वर्ष) की मौत हो गयी. उन्हें तीन माह से मानदेय नहीं मिला था. उसके घर में इलाज के लिए पैसे भी नहीं थे. जिस कारण घर में ही उसका इलाज चल रहा था. बेहतर इलाज के आभाव में सुशील ने घर में दम तोड़ दिया. सुशील उरांव घाघरा प्रखंड के हहरी गांव के निवासी थे और उसी गांव के नवप्राथमिक विद्यालय में पारा टीचर के रूप में कार्यरत थे.
परिजनों के अनुसार अगर घर में पैसा होता तो अस्पताल में इलाज कराकर सुशील की जान बचायी जा सकती थी. शिक्षा विभाग द्वारा तीन माह से मानदेय का भी भुगतान नहीं किया गया था. जिस कारण सुशील मानसिक पीड़ा व आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. एक माह पहले अचानक वह बीमार हो गया.
शुरू में डॉक्टर से दिखाया गया. लेकिन घर में जो पैसा था. वह इलाज में खत्म हो गया. जिसके बाद बीमार सुशील को घर में लाकर रखा गया था. लेकिन रविवार की सुबह को उन्होंने आर्थिक तंगी व इलाज के आभाव में दम तोड़ दिया.
कमाने वाले की मौत, परिवार में संकट
सुशील उरांव घर का अकेले कमाने वाला व्यक्ति था. पारा टीचर की नौकरी में जो मानदेय मिलता था. उसी से घर के सदस्यों की रोजी रोटी चलती थी. लेकिन अब सुशील की मौत से उसके परिवार के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है. परिवार के लोग बोल रहे हैं कि अब कैसे जीयेंगे. सुशील ने दो शादी की थी. उसकी मौत के बाद दो पत्नियां व छह बच्चों की रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. पहली पत्नी सुकरी देवी के तीन बच्चे हैं. जिनमें मनोज उरांव, महेंद्र उरांव व मुकेश उरांव है. वहीं दूसरी पत्नी अनीता उरांव के दो बच्चे हैं. जिनमें मीना कुमारी व मनोहर उरांव है. दोनों पत्नियों ने शिक्षा विभाग व प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है. नहीं तो परिवार के सदस्य भूखे मर जायेंगे.
पारा टीचर संघ शोक में है
सुशील उरांव की मौत से एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोरचा घाघरा प्रखंड के सभी शिक्षक शोक में है. मौत की सूचना पर रविवार को कई पारा टीचर हहरी गांव पहुंचे. साथ ही घटना की पूरी जानकारी ली. परिजनों द्वारा बताया गया कि एक महीने से सुशील बीमार चल रहा था. कुछ पैसे थे तो इलाज हुआ. पैसा खत्म होने के बाद उसे घर ले आये. जहां इलाज के आभाव व आर्थिक तंगी के कारण सुशील की मौत हो गयी.
दिलेश्वर महतो, अध्यक्ष, पारा शिक्षक संघ, घाघरा ने कहा कि सुशील उरांव नवप्राथमिक विद्यालय हहरी के पारा टीचर थे. बीते अक्तूबर माह से प्रखंड के पारा टीचरों को मानदेय नहीं मिला है. सुशील को भी मानदेय नहीं मिला था. इसलिए सुशील बीमार होने पर पैसे के आभाव में इलाज नहीं करा सका और उसकी मौत हो गयी. विभाग पीड़ित परिवार की मदद करे.
तरसिला केरकेटटा, बीइइओ, घाघरा प्रखंड ने कहा कि पारा शिक्षक सुशील उरांव की मौत की सूचना मुझे या फिर विभाग को नहीं है. जहां तक मानदेय भुगतान की बात है तो अक्तूबर माह तक का भुगतान कर दिया गया था. जो पारा शिक्षक हड़ताल पर थे. सिर्फ उनका मानदेय रुका हुआ था. मैं अपने स्तर से शिक्षक की मौत की जानकारी लूंगी.