युवाओं को टक्कर दे रहे हैं गुमला के बुजुर्ग
गुमला : वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए आज भी गुमला के कई बुजुर्ग प्रेरणा से कम नहीं हैं, जो ढलती उम्र में भी पूरे जोशो-खरोश से काम करते हैं. 80 वर्ष पार कर चुके कई लोग आज हर काम में युवाओं को टक्कर दे रहे हैं. घर से लेकर बाहर तक के काम ये खुद […]
गुमला : वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए आज भी गुमला के कई बुजुर्ग प्रेरणा से कम नहीं हैं, जो ढलती उम्र में भी पूरे जोशो-खरोश से काम करते हैं. 80 वर्ष पार कर चुके कई लोग आज हर काम में युवाओं को टक्कर दे रहे हैं. घर से लेकर बाहर तक के काम ये खुद करते हैं. बीमारी इनके सामने फटकती भी नहीं है, क्योंकि ये लोग बीमारी से दूर रहने के लिए खुद को फीट रखते हैं. कोई व्यायाम, तो कोई सुबह को टहलते हैं. योगा भी करते हैं. घर की बागवानी इनके जिम्मे है. प्रभात खबर गुमला ने कुछ ऐसे ही बुजुर्गों से बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश:
काम से पीछे नहीं हटते, इसलिए तंदुरुस्त हैं तेजपाल राम
झारखंड रत्न व गुमला रत्न से विभूषित 79 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक तेजपाल राम को वर्ष 2001 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला. वे पूर्व में राजकीय मध्य विद्यालय पोजेंगा (पालकोट) में शिक्षक थे. वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए. उसके बाद वे सामाजिक कार्यों से जुड़े. उन्होंने ग्रामीण इलाके से आये लोगों की सहायता को अपनी दिनचर्या से जोड़ लिया है. जो भी ग्रामीण उनके पास आता है, उनका सहयोग करते हैं. जैसे कोई ग्रामीण फार्म भरवाने आता है, तो कोई रशीद कटवाने आता है. उन लोगों को सही जानकारी देकर या फिर उक्त कार्यालय जाकर उनका सहयोग करते हैं. वर्तमान में तेजपाल राम वक्त से हिसाब से ढल कर सभी लोगों से सामंजस्य बना रहे हैं. घर के भी अधिकांश काम वे करते हैं. तेजपाल राम युवाओं को संदेश दिया है. कहा है कि अपने जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ें, सभी चुनौतियों को स्वीकार करें, सफलता अवश्य मिलेगी. तेजपाल राम सुबह टहलते हैं. उसके बाद अपनी दिनचर्या में लग जाते है.
उगते सूर्य के साथ जलेश्वर राम उठ कर हर काम खुद करते हैं
गुमला के स्थायी लोक अदालत के प्रथम अध्यक्ष 82 वर्षीय जलेश्वर राम बिहार राज्य के किशनगंज कोर्ट में अपर जिला सत्र न्यायाधीश रह चुके हैं. वर्ष 1997 में किशनगंज कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए हैं. उनके बाद गुमला में रहने लगे. वे प्रात: में उठ कर घूमते हैं. व्यायाम करते हैं. इसके अलावा अपने घर की बारी में बागवानी करते हैं. हर दिन सुबह-शाम पौधों में पानी डालते हैं. ढलती उम्र में भी इन्हें शारीरिक कोई परेशानी नहीं है. जलेश्वर राम युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि आज के युवा ईमानदारी को अपना हथियार बना कर काम करें. वर्तमान के युवा भारत के भविष्य हैं. सभी युवाओं को देश के प्रति जागरूक होकर देश का सच्चा नागरिक बन कर रहना है. हमेशा न्याय पर विश्वास करें. देर ही सही पर लोगों को हमेशा न्याय मिलता है. अवकाश प्राप्त जज जलेश्वर राम के पास जब भी कोई कानून संबंधी जानकारी लेने आता है, तो उसे वे कानूनी संबंधी जानकारी देते हैं.
84 वर्ष की उम्र में भी अखौरी निरंजन कृष्ण करते हैं व्यायाम
सिविल कोर्ट गुमला के वरिष्ठ अधिवक्ता 84 वर्षीय अखौरी निरंजन कृष्ण इस उम्र में भी लोगों को न्याय दिलाने में लगे हुए हैं. अगर कोई गरीब उनके पास फरियाद लेकर आता है, तो उसे बहुत ज्यादा छूट देते हैं. अखौरी निरंजन सिंह ने बताया कि वे रेप केस, क्राइम केस में आरोपी का डिफेंस नहीं करते हैं. वे सिर्फ सच्चाई का साथ देते हैं. उनकी इन्हीं अंदाज से आज भी कई लोग उनके मुरीद हैं. वर्तमान में अखौरी निरंजन कृष्ण का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है. वे हर सुबह उठ कर जागरण करते हैं. उसके बाद वे व्यायाम के अलावा सैर सपाटे के लिए जाते हैं. वे वर्ष 1958 से वकालत कर रहे हैं. इसके अलावा पूर्व में विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि वे नशापान से दूर रहें. अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें. हमेशा समाज व देश की उन्नति के लिए प्रयासरत रहें. मेहनत से कभी पीछे नहीं हटें.
90 की उम्र में भी हर स्टेज पर नजर आते हैं साहनी उपेंद्र पाल
गुमला के जाने-माने साहित्यकार हैं 90 वर्षीय साहनी उपेंद्र पाल नहन. उनका लिखा गया साहित्य मेवाड़ केशरी नागपुरी बीए ऑनर्स में चलता है. इनके अवाला समय-समय पर उन्हें हीरक सम्मान, प्रफुल्ल सम्मान, सेवा रत्न व बीसीसीएल कोयल भारती राजभाषा समेत अनेकों उपाधि से नवाजा गया है. उन्होंने वर्ष 2006 में अंबा मंजर नामक किताब लिखी है, जिसमें झारखंड की संस्कृति समेत देश के बारे में अनेकों विषयों पर प्रकाश डाला गया है. कालिदास के लिखे छंद दोहे को नागपुरी में लिख चुके हैं. वर्तमान में वे प्रतिदिन सुबह उठ कर स्नान करने के बाद रामचरित मानस का पाठ पढ़ते हैं. इसके बाद वे साहित्य के क्षेत्र में लगे रहते हैं. युवाओं को कहते हैं कि जिस विषय पर लगाव है, उसी का चयन कर आगे बढ़ें. कितनी भी विकट परिस्थिति आ जाये पर, हार कभी नहीं मानना. हर व्यक्ति के अंदर कुछ खासियत होती है. बस जरूरत है, उसे पहचानने की.