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गुमला : आतंकवादी हमले में दो साल पहले शहीद हुए रमेश के परिजन जी रहे फटेहाल

– एक शौचालय व पीएम आवास भी नसीब नहीं, छोटे भाई ने पीएम को लिखा पत्र दुर्जय पासवान, गुमला जम्मू कश्मीर के अखनूर में आतंकवादी हमले में शहीद हुए गुमला जिले के लाल रमेश टोपनो के परिजन तंगहाली में जी रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है. शहीद का गांव […]

– एक शौचालय व पीएम आवास भी नसीब नहीं, छोटे भाई ने पीएम को लिखा पत्र

दुर्जय पासवान, गुमला

जम्मू कश्मीर के अखनूर में आतंकवादी हमले में शहीद हुए गुमला जिले के लाल रमेश टोपनो के परिजन तंगहाली में जी रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है. शहीद का गांव बसिया प्रखंड के टकरमा है. रमेश अखनूर में सीमा सड़क संगठन के जीआरइएफ में टेक्नीकल ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था. ड्यूटी के दौरान नौ जनवरी 2017 को आतंकवादियों के हमले में रमेश टोपनो के साथ उत्तर प्रदेश के अन्य दो जवान शहीद हो गये थे.

रमेश को शहीद हुए दो वर्ष हो गये. लेकिन अभी तक झारखंड सरकार द्वारा जो सुविधा शहीद के परिवार को मिलनी चाहिए. वह सुविधा नहीं मिली है. जबकि शहीद की मां नीलिमा टोपनो व छोटा भाई अनुप टोपनो ने कई बार राज्य सरकार को आवेदन सौंपा. स्पीकर डॉ दिनेश उरांव के अलावा गुमला डीसी से मिलकर समस्या रखी. लेकिन कोई रमेश के परिवार की मदद के लिए आगे नहीं आया.

अभी शहीद की मां ललिता टकरमा गांव स्थित खपड़ैल के घर में रह रही है. वहीं छोटा भाई अनूप रांची गोस्सनर कॉलेज में भूगोल विषय में स्नातक की पढ़ाई कर रहा है.

एक शौचालय तक नहीं मिला

दुख व दुर्भाग्य की बात है. पाकिस्तान के आतंकियों के हमले में शहीद रमेश के घर में एक शौचालय तक नहीं है. जबकि परिवार के लोगों ने शौचालय व प्रधानमंत्री आवास बनवाने के लिए प्रशासन को आवेदन सौंपा था. लेकिन प्रखंड प्रशासन ने मदद के नाम पर शौचालय भी शहीद के घर में नहीं बनवाया. आज भी शहीद की मां खुले में शौच जाती है. वृद्धावस्था पेंशन हो या फिर सरकार की पेंशन. आज भी वृद्ध मां तरस रही है. जबकि परिवार के लोगों ने मदद के लिए हर तरफ हाथ फैला चुके हैं. परंतु कोई मदद के लिए आगे नहीं आया. मां नीलिमा ने कहा कि उसके पति का निधन पूर्व में ही हो गया है. बड़ा बेटा रमेश के भरोसे ही घर चल रहा था. लेकिन बेटे की शहादत के बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है.

शादी से एक महीना पहले शहीद हुआ था रमेश

परिजनों ने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए बताया है कि रमेश नौ जनवरी 2017 को शहीद हुआ था. घटना से पूर्व 23 दिसंबर 2016 को क्रिसमस पर्व में अपने घर आया था. इसके बाद 29 दिसंबर को पुन: कश्मीर काम करने लौट गया था. साथ ही उसने अपनी मां नीलिमा के कहने पर विवाह की इच्छा प्रकट किया था.

जवान का विवाह फरवरी 2017 में होने वाला था. लेकिन विवाह से एक माह पहले वह शहीद हो गया था. रमेश के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ गांव लाकर अंतिम संस्कार किया गया था. लेकिन उसके बाद से सरकार व प्रशासन शहीद के परिवार को भूल चुकी है.

भाई ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

शहीद रमेश के छोटे भाई अनुप ने सरकारी सुविधा नहीं मिलने पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें उसने रमेश की शहादत की जानकारी देते हुए झारखंड सरकार द्वारा नहीं मिल रही सुविधा की जानकारी दिया है. अपने पत्र में अनुप ने कहा है कि राज्य सरकार किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं कर रही है. जबकि भाई के शहीद होने से पूरा परिवार आर्थिक तंगी में जी रहा है. जबकि मेरे भाई के साथ उत्तर प्रदेश के दो जवान भी शहीद हुए थे. परंतु उत्तर प्रदेश की सरकार ने उन दोनों शहीद जवानों के परिजनों को हर तरह से मदद की. परंतु हमारे झारखंड सरकार किसी प्रकार की मदद नहीं कर रही है.

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