पिछड़ी जाति को आरक्षण देने की मांग

बसिया : छोटानागपुर तेली उत्थान समाज के केंद्रीय अध्यक्ष उदासन नाग ने कहा है कि अविभाजित बिहार में पिछड़ी जाति के लोग राजनीति के क्षेत्र में मुखिया, प्रमुख एवं जिला अध्यक्ष बनते थे. नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता था, लेकिन झारखंड बनने के बाद सारा अधिकार शून्य कर दिया गया. पिछड़ी जाति के लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2019 1:39 AM

बसिया : छोटानागपुर तेली उत्थान समाज के केंद्रीय अध्यक्ष उदासन नाग ने कहा है कि अविभाजित बिहार में पिछड़ी जाति के लोग राजनीति के क्षेत्र में मुखिया, प्रमुख एवं जिला अध्यक्ष बनते थे. नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता था, लेकिन झारखंड बनने के बाद सारा अधिकार शून्य कर दिया गया. पिछड़ी जाति के लोगों को सिर्फ वोट देने का अधिकार है, जबकि झारखंड राज्य में पिछड़ी जाति की आबादी 2001 के जनगणना के अनुसार 57 प्रतिशत है, जिसमें तेली जाति बहुसंख्यक है.

उन्होंने लोकसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस से अपने घोषणा पत्र में 13 जिलों में लागू पंचायती राज अधिनियम 2001 के तहत घोषित अधिसूचित क्षेत्र को हटा कर पूर्व की भांति एकल पद मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद, नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम के अध्यक्ष और मेयर पद को अनारक्षित करने, सात जिलों में लागू पेसा कानून के तहत घोषित अनुसूचित क्षेत्र को हटा कर पिछड़ी जाति को आबादी के आधार पर नौकरी में आरक्षण देने की मांग की है.

या पूर्व संयुक्त बिहार की भांति राज्य और जिले में 27 प्रतिशत आरक्षण देने तथा दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में निवास करने वाली तेली जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी घोषणा करने की मांग की. इन मांगों को अपने घोषणा पत्रों में शामिल करने पर ही तेली जाति या पिछड़ी जाति लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए खुले मन से मतदान में भाग ले सकेंगे.

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