दुर्जय पासवान, गुमला
झारखंड राज्य स्थित पालकोट प्रखंड के घोर उग्रवाद प्रभावित डहूपानी पंचायत निवासी बसंत सिंह की 70 वर्षीय मां का सोमवार को कोनवीर अस्पताल में इलाज के क्रम में निधन हो गया. करीब 12 बजे शव को अस्पताल से घर लाया गया. घर में शव पड़ा हुआ था. लोग रो रहे थे. लेकिन लोकतंत्र की मजबूती के लिए वोट भी करना था.
साथ ही वोट मारने का समय भी खत्म न हो जाए. इसलिए परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार करना छोड़ पहले वोट डालने डहूपानी स्कूल में बनाये गये बूथ नंबर 36 पर गये. पोता जगेश्वर सिंह, रिश्तेदार शिवानंदन सिंह, दीपक सिंह, विश्वनाथ सिंह, छटकू साय, करमपाल सिंह सहित घर की महिला सदस्य पहले बूथ पहुंचकर वोट दिया. इसके बाद दिन के एक बजे अंतिम संस्कार में भाग लिया.
पीठासीन पदाधिकारी अनुरंजन डुंगडुंग ने उक्त पीड़ित परिवार के सदस्यों की मतदाता पहचान पत्र की जांच कराकर जल्द मतदान कराया. जिससे वे अंतिम संस्कार में भाग ले सकें. पोता जगेश्वर सिंह ने कहा कि मेरी दादी बीमार थी. कोनवीर अस्पताल में इलाज चल रहा था. सोमवार की सुबह निधन होने के बाद दोपहर में शव को लाया गया. लेकिन अपने क्षेत्र के विकास की भी चिंता है. अच्छे नेता को चुनेंगे. तभी हमारे क्षेत्र का विकास होगा. इसलिए पहले अच्छे नेता को चुनने के लिए वोट दिया. इसके बाद अंतिम संस्कार में भाग लिया.
बिहड़ जंगल व पहाड़ के ऊपर है डहूपानी पंचायत
डहूपानी पंचायत में बसिलापानी, खड़पानी, बोरहाडीह, ढोलचुआं, छवारीकोना, डहूपानी सहित कई छोटे टोले व गांव हैं. पालकोट से 20 व गुमला से 45 किमी दूर इस पंचायत तक जाने के लिए सड़क नहीं है. बिहड़ जंगल व पहाड़ पर गांव है. रास्ता भी पहाड़ी व पगडंडी है. पीने के पानी का साधन नहीं हैं. चुआं का पानी पीते हैं.
आजादी के 70 साल बाद भी आदिम युग में इस क्षेत्र के लोग जी रहे हैं. इसलिए इसबार के चुनाव में 60 प्रतिशत से अधिक लोगों ने मतदान किया. लोगों ने कहा : हमलोगों ने अपने क्षेत्र का विकास करने के लिए वोट दिया है. अगर धोखा होगा तो आने वाले चुनाव में सबक सिखायेंगे. डहूपानी में वोटरों की संख्या 915 है.