रमजान माह में जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं : मौलाना अहमद अली

गुमला : पवित्र रमजान माह के पहले जुमे की नमाज शुक्रवार को जिले भर की मस्जिदों में अकीदत के साथ पढ़ी गयी. चिलचिलाती धूप और पारा 40 की परवाह किये बिना रोजेदारों ने अल्लाह के दर पर अपने सर को झुकाया और देश में शांति, राज्य की तरक्की, खुशहाली एवं शहर में अमन व भाईचारगी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2019 1:16 AM

गुमला : पवित्र रमजान माह के पहले जुमे की नमाज शुक्रवार को जिले भर की मस्जिदों में अकीदत के साथ पढ़ी गयी. चिलचिलाती धूप और पारा 40 की परवाह किये बिना रोजेदारों ने अल्लाह के दर पर अपने सर को झुकाया और देश में शांति, राज्य की तरक्की, खुशहाली एवं शहर में अमन व भाईचारगी के लिए सामूहिक रूप से दुआ मांगी.

गुमला शहर में मुख्य नमाज थाना रोड स्थित जामा मस्जिद में पढ़ी गयी. इसके अलवा पहले जुमा की नमाज बाजारटांड़ स्थित गौसिया मोती मस्जिद, आजाद बस्ती स्थित मस्जिद गौसुलवरा व मदीना मस्जिद, खड़िया पाड़ा स्थित कादरीया मस्जिद व मस्जिद रजा-ए-हबीब, हुसैन नगर स्थित मस्जिद-ए-फैजान-रजा व जैनब मस्जिद, सिसई रोड स्थित मक्का मस्जिद में भी पढ़ी गयी.
थाना रोड स्थित जामा मस्जिद में तकरीर के दौरान जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद अली मिस्बाही ने कहा कि रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज है. उन्होंने कहा कि इस माह में जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं. रोजेदार द्वारा की गयी बंदगी और नेकियों की फजीलत में इजाफा कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ रोजा रखना नहीं है, बल्कि रोजा अल्लाह की इबाबत में गुजारना है.
एक रोजेदार ही जान सकता है कि भूखे प्यासे रहने में कितनी तकलीफ होती है. इससे रोजेदारों को उन लोगों की तकलीफ का अंदाजा होता है, जो लोग मजबूरन फाका-कशी में जिंदगी गुजारते हैं. रमजान के इस पवित्र माह में ही सदका-ए-फितर निकाला जाता है, जिससे गरीबों की मदद की जाती है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में एक गरीब की जितनी इज्जत है, उतनी ही इज्जत एक अमीर की भी है. नमाज के बाद हजरत मोहम्मद पर सलाम का नजराना भी पेश किया गया.
वहीं गुमला की गौसिया मोती मस्जिद में इमाम हाफिज जाहिद साहब ने नमाज पढ़ायी. वहीं गौस नगर स्थित मस्जिद रजा-ए-हबीब में इमाम कारी रमजान, कादरिया मस्जिद चांदनी चौक में मौलाना सरताज रजा, आजाद बस्ती मदीना मस्जिद में कारी अब्दुल रशीद, सिसई रोड की मक्का मस्जिद में मौलाना आरिफ नदबी, सिसई रोड के मदरसा इस्लामिया में कारी मोहम्मद साजिद, आजाद बस्ती की मस्जिद गौसुलवरा में हाफिज सद्दाम ने नमाजी पढ़ायी.
बुराई से दूर रहना और खुदा की इबादत करना रोजा है : रोजेदार मोहम्मद राशिद ने कहा कि रोजा का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं है, बल्कि पूरे शरीर को नियंत्रण में रख कर हर बुराई से दूर रहना और खुदा की इबादत करना रोजा है. इस दौरान हर रोजेदार खुदा की इबादत में लगे रहते हैं. मुस्लिम खान ने कहा कि रोजा रखना हर मुस्लिम का फर्ज है. पाक माह रमजान के समय जन्नत का दरवाजा खुल जाता है. मोहम्मद शाहिद खान ने कहा कि रोजा रखने से इंसान को नेकिया मिलती है. इस माह अल्लाह का खास करम होता है.
मोहम्मद नेशार खान मुन्ना ने कहा कि रोजा के दिन सभी रोजेदार खुदा की इबादत में लगे रहते हैं. रमजान का पवित्र माह हर मुसलमानों के लिए खास है. मोहम्मद फैयाज खान अयान ने कहा कि खुदा रमजान के पवित्र माह मे एक नेकी का सवाब 70 गुणा अता करता है. यह नेकी का माह है. मोहम्मद वासे वारसी ने कहा कि रमजान अल्लाह का माह है. इस महीने अल्लाह को राजी किया जाता है. रमजान के महीने में जकात निकाल कर गरीबों के बीच दान किया जाता है.

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